Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Jun, 2017 04:29 PM
भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ को उत्तर प्रदेश में दलित राजनीति का नया चेहरा और....
लखनऊ: भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ को उत्तर प्रदेश में दलित राजनीति का नया चेहरा और बहुजन समाज पार्टी के लिए चुनौती बताया जा रहा है लेकिन मायावती की पार्टी आजाद को अपने लिए खतरा नहीं मानती। चंद्रशेखर ने पिछले दिनों सहारनपुर में कथित तौर पर उंची जाति के लोगों के अत्याचार के खिलाफ दिल्ली में बड़ा दलित प्रदर्शन बुलाया था। जबकि वह खुद जिले में जाति आधारित हिंसा भड़काने में कथित भूमिका को लेकर गिरफ्तारी से बचने के लिए भूमिगत थे।
रैली स्थल पर हजारों की संख्या में मौजूद लोगों के हाथ में बी आर अंबेडकर के साथ चंद्रशेखर के पोस्टर और मास्क थे। उन्होंने इसे दलित राजनीति में नए युग की शुरूआत और बहुजन समाज पार्टी के लिए खतरा बताया था। चंद्रशेखर की बनाई भीम आर्मी का आधार सहारनपुर से शुरू होता है जहां से बसपा संस्थापक कांशीराम ने अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरूआत की थी। भीम आर्मी अपने बयानों में कांशीराम का जिक्र कई बार करती है लेकिन यह संगठन बसपा पर दलितों पर छाप छोड़ने में नाकाम रहने का आरोप लगाता है।
भीम आर्मी के एक सदस्य ने कहा कि हमारा प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं ने हमारे हालात बेहतर बनाने के लिए कुछ नहीं किया। इसलिए हमें उंची जातियों से अपने भाइयों को बचाने के लिए अपनी खुद की सेना बनानी पड़ी है। सहारनपुर जिले में करीब 6 लाख दलित हैं और इसलिए यह पिछले कुछ सालों तक बसपा का भी मजबूत गढ़ रहा है। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनावों और इस साल विधानसभा चुनाव में पार्टी अपनी सीटें गंवा चुकी है।
जगपाल ने भीम आर्मी के नौजवान सदस्यों को अपने बच्चे बताते हुए कहा कि वे युवा और दलित अधिकारों के प्रति समर्पित हैं लेकिन उनमें कोई संगठन या पार्टी चलाने के लिहाज से पर्याप्त तौर पर तालमेल नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में विरोध प्रदर्शन में दलितों को एकत्रित करने के लिए व्हाट्सएप्प का इस्तेमाल किया। इसमें मेहनत नहीं लगती, जबकि बसपा बहुजन और भाइचारे के विचार के लिए प्रतिबद्ध है। इस बीच भीम आर्मी ने हिंसा के बाद अपने सदस्यों पर पुलिस कार्रवाई का आरोप लगाया है।
चंद्रशेखर के करीबी जयभगवान जाटव ने कहा कि वे कह रहे हैं कि हमें नक्सलियों से पैसा मिला। हमारा अभी तक उनसे कोई संपर्क नहीं है, लेकिन अगर हमें न्याय नहीं मिलता तो हमें फिर से सोचना पड़ेगा। सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दलितों और ठाकुरों के बीच तनाव ने 5 मई को व्यापक हिंसा का रूप ले लिया था। हालांकि जिला पुलिस ने कहा कि वह मामले की जांच केवल आपराधिक कोण से कर रही है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रबल प्रताप सिंह ने कहा कि उनकी कोई भी विचारधारा हो, इससे फर्क नहीं पड़ता और हम इस बात में पड़ना भी नहीं चाहते। हम मामले की जांच आपराधिक कोण से कर रहे हैं। चंद्रशेखर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए हुए करीब एक महीना हो गया लेकिन उन्हें अभी तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। वह व्हाट्सएप्प और फेसबुक वीडियो के जरिए अपने समर्थकों से जुड़े हुए हैं।