Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Sep, 2017 02:06 PM
यूपी में डॉक्टरों की लापरवाही का सिलसिला थम नहीं रहा है। ऐसा ही एक गंभीर मामला पूर्वांचल के सरसुंदर लाल अस्पताल में देखने को मिला, जहां नवजात शिशु के परिजनों...
बलियाः यूपी में डॉक्टरों की लापरवाही का सिलसिला थम नहीं रहा है। ऐसा ही एक गंभीर मामला पूर्वांचल के सरसुंदर लाल अस्पताल में देखने को मिला, जहां नवजात शिशु के परिजनों ने अस्पताल स्टॉफ पर बच्चे को बदलने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया।
जानकारी के अनुसार मामला उत्तर प्रदेश में बलिया जिले के एक सरसुंदर लाल अस्पताल का है, जहां राजकुमार के आंगन में शादी के 14 साल बाद किलकारियां गूंजी, लेकिन कब ये किलकारियां उदासी में बदल गई पता ही नहीं चला। मंगलवार की देर रात राजकुमार को पिता बनने का शौभाग्य मिला। उनकी खुशी उस समय दोगुनी हो गई जब उन्हें पता लगा कि उन्हें पुत्र की प्राप्ती हुई है।
इस बात की जानकारी खुद राजकुमार को बुलाकर दी गई और अस्पताल ने नवजात का पंजीकरण कार्ड भी मेल के नाम से बनाया। लेकिन बच्चा कमजोर होने की वजह से उसे एनआईसीयू में रखा गया। हद तो तब हो गई जब 3 दिन बाद बच्चा मां की गोद में सौंपा गया तो उनके होेश उड़ गए, क्योंकि गोद में बच्चे की जगह बच्ची थी।
अब पिता राजकुमार चाहते हैं कि डीएनए टेस्ट कराकर उनका बच्चा बीएचयू अस्पताल उनको वापस करे। वहीं दूसरी तरफ अस्पताल के डाॅ. ओपी उपाध्याय सभी तरह की जांच को करा लेने की बात कह रहे हैं। साथ ही उनका कहना है कि उनके पास सभी दस्तावेजों में नवजात बतौर फिमेल दर्ज हैं और जो पिता के पास दस्तावेज हैं वे उन्होंने अपने बारे में झूठी जानकारी देकर अस्पताल से बनवाया हैं। हम बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने के लिए भी राजी है।
यहां सवाल ये उठता है कि पूर्वांचल का एम्स कहे जाने वाले अस्पताल का ये हाल है वो भी पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में तो बाकी अस्पतालों का क्या हाल होगा इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन गरीब परिवार के पास इतने पैसे नहीं है कि वो डीएनए टैस्ट का खर्च उठा सकें। ऐसे में पीड़ित परिवार दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं।