नशे की गिरफ्त में कराह रहा बचपन, डूब रहा देश का भविष्य

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Aug, 2017 04:52 PM

childhood in the grip of drunkenness

''नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है मुट्ठी में है तकदीर हमारी''। यह गाना 20 अगस्त,1954 को राज कपूर की फिल्म बूट पॉलिश में गाया गया था....

गाजियाबाद(आकाश गर्ग): 'नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है मुट्ठी में है तकदीर हमारी'। यह गाना 20 अगस्त,1954 को राज कपूर की फिल्म बूट पॉलिश में गाया गया था। उस समय का दौर ही कुछ और था और आज का दौर कुछ और ही है। जब से देश बदला है तब से नन्हे मुन्ने बच्चे बड़े हो गए हैं। आज के समय में बच्चों के हाथ में तकदीर नहीं बल्कि नशा है। 

बता दें कि गाजियाबाद के रेलवे स्टेशन पर कुछ बच्चे प्लेटफार्म की सीढ़ियों पर बैठे हुए हैं। यह बच्चे यात्री नहीं हैं। यहां से जीआरपी यानी रेलवे पुलिस थाने की दूरी 200 मीटर है। यह बच्चे रेलवे स्टेशन की सीढ़ियों पर नशा करते हैं। यह बच्चे बेपरवाह होकर नशा करते है। इन बच्चों की उम्र 10 वर्ष तक भी नहीं होगी और यह अभी से नशे की लत में पढ़ चुके हैंं। यूपी के किसी भी बड़े स्टेशन पर इन बच्चों को आराम से नशा करते हुए देखा जा सकता है।

सरकार इन बच्चों के लिए कोई कड़े कदम नहीं उठा रही है। हमें जरूरत है कि हम सब मिलकर इस तरह की गतिविधियों से बच्चों को बचाएं। ताकि आगे जाकर हमारा देश पूरी तरह से आगे बढ़ें। वाकई हमारे लिए और हमारे देश के लिए यह एक कड़वा और शर्मनाक सच है। जिसे अब बदलने की जरूरत है।

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