Edited By ,Updated: 23 Mar, 2017 02:22 PM
उत्तर प्रदेश में सभी यांत्रिक बूचड़खाने बंद करने के अपने वादे पर अमल में सत्तारूढ़ भाजपा को केंद्र में अपनी ही सरकार की नीतियों के विरोधाभास और कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है।
लखनऊ:उत्तर प्रदेश में सभी यांत्रिक बूचड़खाने बंद करने के अपने वादे पर अमल में सत्तारूढ़ भाजपा को केंद्र में अपनी ही सरकार की नीतियों के विरोधाभास और कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। भाजपा ने अपनी चुनाव घोषणापत्र में सत्ता में आने पर प्रदेश के सभी यांत्रिक बूचड़खानों को बंद करने का वादा किया था। इसे जमीन पर उतारने की कवायद के तहत प्रदेश की आदित्यनाथ योगी सरकार ने एक बयान में कहा कि प्रदेश में संचालित अवैध पशु वधशालाआें को बन्द कराना एवं यांत्रिक पशु वधशालाआें पर प्रतिबन्ध वर्तमान सरकार की प्राथमिकताआें में है।
हालांकि आल इण्डिया मीट एण्ड लाइवस्टाक एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि अवैध बूचड़खाने बंद किए जाने का कदम तो ठीक है लेकिन जहां तक लाइसेंसी यांत्रिक बूचड़खानों को बंद करने के भाजपा के चुनाव घोषणापत्र के वादे पर अमल का सवाल है तो यह केन्द्र में इसी पार्टी की नीतियों के प्रति विरोधाभासी कदम होगा और एसोसिएशन जरूरत पड़ने पर इसे अदालत में चुनौती देगी।
एसोसिएशन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने टेलीफोन पर कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने बूचड़खानों को बाकायदा एक उद्योग का दर्जा दे रखा है। उसका खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय यांत्रिक बूचड़खाने लगाने के लिए 50 प्रतिशत तक अनुदान देकर इसे प्रोत्साहित करता है, वहीं उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार देश के कुल मांस निर्यात में करीब 50 प्रतिशत का योगदान करने वाले इस सूबे में यांत्रिक बूचड़खानों पर पाबंदी लगाने की बात कर रही है। उन्होंने कहा कि हालांकि प्रदेश सरकार ने यांत्रिक बूचड़खाने बंद किए जाने को लेकर अभी तक कोई औपचारिक आदेश जारी नहीं किया है लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में विभिन्न जगहों पर पशु वधशालाएं बंद की जा रही हैं।