बाढ़ के कारण यहां के लड़कों को नहीं मिलती दुल्हन

Edited By ,Updated: 25 Aug, 2016 07:29 AM

bijnor ganga floods village

बिजनौर जिले में गंगा किनारे बसे कम से कम 25 गांव ऐसे हैं, जहां तटबंध न होने के कारण बाढ़ आ जाती है। बाढ़ की वजह से न केवल मिट्टी का कटाव और...

बिजनौर: बिजनौर जिले में गंगा किनारे बसे कम से कम 25 गांव ऐसे हैं, जहां तटबंध न होने के कारण बाढ़ आ जाती है। बाढ़ की वजह से न केवल मिट्टी का कटाव और फसल की बर्बादी होती है बल्कि ग्रामीणों को शादी-ब्याह में भी काफी मुश्किलें पेश आ रही हैं। यहां के लोगों का कहना है कि शादी की उम्र के युवकों को दुल्हन मिलने में दिक्कत हो रही है। दूसरे गांवों के लोग इस गांव के युवकों के लिए आए शादी के प्रस्तावों से सीधा इंकार कर देते हैं।

उनका कहना है कि बाढ़ में डूबे गांव में रहने वाले इंसान से अपनी बेटी की शादी करने से बेहतर है कि बेटियां जिंदगी भर मां-बाप के ही घर बैठी रहें। उत्तराखंड से गंगा बिजनौर जिले में आती है। गंगा के आसपास बसे गांवों के लिए यह एक तरह से वरदान भी था। हर साल आने वाली बाढ़ के कारण उनकी जमीन उपजाऊ हो जाती थी। गंगा इन गांवों से 3.4 किलोमीटर की दूरी पर बहती थी।

किसान सम्पन्न थे और खुशी से जी रहे थे। पिछले कई साल से स्थितियां बदल गईं। इन किसानों के लिए हालात किसी बुरे सपने की तरह बदल गए। गंगा लगातार अपना रास्ता बदलती रही और लगातार होने वाले कटाव के कारण कुछ गांव तो विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं। फिलहाल गंगा की मुख्य धारा इन गांवों के बेहद पास से बहती है। 

मानसून के दौरान यहां के 25 गांवों में बाढ़ आती है। इन गांवों में गौसपुर सिमली, फराम पुहपुर, केहरपुर, राजारामपुर, कुंदनपुर, तीपस, मीरापुर, दायबलगढ़, रावली, ब्रह्मपुरी, रामपुर ठाकरा, जीवनपुरी आदि शामिल हैं। बाढ़ के कारण यहां फसल, खेती लायक जमीन और घर बर्बाद हो रहे हैं। जमीन के कटाव के कारण पिछले कुछ साल में 5 गांव पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं।

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