BHU के सुरक्षाकर्मियों ने उतारी पुलिस जैसी दिखने वाली वर्दी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Sep, 2017 08:27 AM

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वाराणसी पुलिस के ऐतराज के बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बी.एच.यू.) के सुरक्षाकर्मियों ने पुलिस जैसी....

वाराणसी: वाराणसी पुलिस के ऐतराज के बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बी.एच.यू.) के सुरक्षाकर्मियों ने पुलिस जैसी दिखने वाली खाकी वर्दी को उतार दिया और फिलहाल वे सादी पोशाक में ही ड्यूटी करेंगे। गौरतलब है बी.एच.यू. में गत 23 सितम्बर की रात छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज के बाद वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एस.एस.पी.) आर.के. भारद्वाज ने विश्वविद्यालय के कुलसचिव को लिखे पत्र में उनसे  सुरक्षाकर्मियों को पुलिस की तरह दिखने वाली खाकी वर्दी न पहनने और शाम 5 बजे तक उसे उतारने का आग्रह किया था।

जानकारी के अनुसार अपने पत्र में भारद्वाज ने ‘द प्राइवेट सिक्योरिटी एजैंसिज (रैगुलेशन) एक्ट 2005 की धारा 21’ के प्रावधानों का हवाला देते हुए बी.एच.यू. के कुलसचिव से अनुरोध किया था कि पुलिस की तरह दिखने वाली पोशाक पहनना कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन है। उन्होंने याद दिलाया कि इस एक्ट के तहत निजी सुरक्षाकर्मियों द्वारा पुलिस, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के समान वर्दी धारण न किए जाने का प्रावधान है।

भारद्वाज ने पत्र में वाराणसी के तत्कालीन जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा गत वर्ष 12 दिसम्बर को विश्वविद्यालय को भेजे गए एक संयुक्त पत्र का उल्लेख किया था। पत्र का हवाला देते हुए उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से कहा था कि बार-बार अनुरोध के बावजूद प्रॉक्टोरियल सुरक्षाकर्मियों द्वारा पुलिस जैसी वर्दी धारण की जा रही है। उन्होंने अनुरोध किया था कि 26 सितम्बर को अपराह्न 5 बजे तक नियमों के मुताबिक पोशाक में बदलाव कर लें, अन्यथा वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बी.एच.यू. के प्रोक्टोरियल सुरक्षाकर्मियों द्वारा उत्तर प्रदेश पुलिस की तरह दिखने वाली पोशाक पहनकर छात्रों एवं आम जनता के साथ ‘गलत व्यवहार’ करने को गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के व्यवहार से उत्तर प्रदेश पुलिस की छवि धूमिल होती है और बार-बार कानून व्यवस्था एवं शांति प्रभावित होती है।

गौरतलब है कि विश्वविद्यालय परिसर में मनचलों की छेड़खानी से परेशान छात्राएं सुरक्षा की मांग को लेकर गत 22 सितम्बर की सुबह से धरने पर बैठी थीं। अगले दिन 23 सितम्बर की रात कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी से बातचीत की कोशिशें विफल होने के बाद आंदोलनकारी उनके निवास की ओर मार्च कर रहे थे। आरोप है कि इसी बीच विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मियों ने छात्राओं पर लाठियां बरसाईं, जिसके बाद यहां भड़की हिंसक घटनाओं में एक दर्जन छात्राएं एवं कई पत्रकारों एवं पुलिसकर्मियों समेत 18 से अधिक लोग घायल हो गए थे। उग्र भीड़ ने जमकर तोड़-फोड़ की थी और एक ट्रैक्टर एवं कई मोटरसाइकिलों को आग के हवाले कर दिया था।

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