Edited By ,Updated: 25 Oct, 2016 06:49 PM
रंगीन, चमकदार व आकर्षक खाद्य पदार्थों को अच्छा समझकर खरीद रहे हैं तो सावधान हो जाएं। रंगीन मिठाईयां आपके ...
सहारनपुर: रंगीन, चमकदार व आकर्षक खाद्य पदार्थों को अच्छा समझकर खरीद रहे हैं तो सावधान हो जाएं। रंगीन मिठाईयां आपके लिए बीमारियों का सौदा हो सकता है। मिलावटखोर रंगों के इस्तेमाल में भी गड़बड़ी से नहीं चूक रहे हैं। सस्ते और घटिया अखाद्य रासायनिक रंगों का प्रयोग खाद्य पदार्थों में किया जा रहा है, जिसके चलते व्यापारी तो मोटा मुनाफा कमाते हैं, जबकि उपभोक्ताओं को बीमारियों के जख्म मिलते हैं।
खाद्य व पेय पदार्थों में रंगों की प्रवृत्ति और इसकी मात्रा के उपयोग को लेकर नियम निर्धारित किए गए हैं, जिसके तहत प्राकृतिक रंगों को ही खाद्य रंगों की श्रेणी में रखा गया है। अलग-अलग पदार्थों के लिए इसकी मात्रा तय है। जैसे मिठाई में 200 पी.पी.एम. ही रंग मिलाया जा सकता है। मोटे तौर पर बड़े स्तर पर कार्य करने वाली कम्पनियों में तो किसी हद तक इन मानकों का ध्यान रखा भी जाता है, लेकिन स्थानीय स्तर पर और छोटे-मोटे कारोबारियों को नियमों की जानकारी तक नहीं है। अक्सर वे प्राकृतिक रंगों के स्थान पर रासायनिक रंगों का ही प्रयोग करते हैं। इन दोनों की कीमत में 10 से 15 गुना तक का अंतर रहता है।
इसके अलावा वे रंगों का प्रयोग भी मनमाने ढंग से कर डालते हैं। भले ही रंगों की चमक से उनकी बिक्री में इजाफा हो जाता हो, लेकिन ऐसे खाद्य पदार्थ ग्राहकों के लिए बेहद ही खतरनाक बन जाते हैं। यूं तो हानिकारक रंगों की मिलावट सबसे अधिक मिठाइयों में ही रहती है। इसके अलावा फल-सब्जी, जूस, मसाले व बेसन आदि को भी अधिक अच्छा दिखाने या मिलावट छिपाने के लिए रासायनिक रंगों का प्रयोग किया जाता है।
ये बरतें सावधानियां
-जहां तक सम्भव हो, सफेद रंग की मिठाइयां ही खरीदने पर जोर दें।
- साधारण दिखने वाले फल भी खरीदें।
-रंगीन-चमकदार मिठाइयां व अधिक चमकीले-चटक रंग वाली मिठाई व फल आदि खरीदने से बचें
-संदेह होने पर मिठाई में पानी और दो-तीन बूंदे हाईड्रोक्लोरिक अम्ल की डालें। अखाद्य रंग होने पर इसमें लाल रंग उत्पन्न होगा।
-जूस में भी रंग के मिलावट की सम्भावना होती है। बेहतर है कि फलों का ही सेवन करें या घर पर जूस निकालें।
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