यूपी के सरकारी रिकार्ड में बाबा साहेब हुए ‘भीमराव रामजी आंबेडकर’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Mar, 2018 07:33 AM

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उत्तर प्रदेश के सरकारी रिकार्ड में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का नाम अब ‘भीमराव रामजी आंबेडकर’ के तौर पर दर्ज किया जाएगा। राज्य सरकार ने इस सिलसिले में शासनादेश जारी किया है। विपक्ष ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है, वहीं....

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सरकारी रिकार्ड में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का नाम अब ‘भीमराव रामजी आंबेडकर’ के तौर पर दर्ज किया जाएगा। राज्य सरकार ने इस सिलसिले में शासनादेश जारी किया है। विपक्ष ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है, वहीं सरकार ने भी उस पर पलटवार किया है।

प्रमुख सचिव (सामान्य प्रशासन) जितेंद्र कुमार ने प्रदेश के सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और विभागाध्यक्षों को जारी शासनादेश में कहा है कि संविधान की 8वीं अनुसूची (अनुच्छेद-344 (1) और 351) का संज्ञान लेते हुए शासन ने विचार के बाद उत्तर प्रदेश से संबंधित सभी दस्तावेजों में अंकित ‘डा. भीमराव अम्बेडकर’ का नाम संशोधित करके ‘डा. भीमराव रामजी आंबेडकर’ करने का निर्णय लिया है। शासनादेश की प्रति राज्यपाल राम नाईक के प्रमुख सचिव, सभी मंडलायुक्तों और सभी जिलाधिकारियों को भी भेजी गई है।

हमें खुशी है कि हमने आंबेदकर का सही नाम लिखा: भाजपा
इस बीच, राज्य सरकार के प्रवक्ता स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि लोगों को देखना चाहिए कि संविधान की 8वीं अनुसूची में बाबा साहेब ने किस तरह अपने हस्ताक्षर किए हैं। जो जिसका सही नाम है, उस सही नाम से ही लिखा करें। बस, इतना ही भाजपा ने किया है। हमें खुशी है कि हमने आंबेडकर का सही नाम लिखा। सिंह ने बताया कि अगले महीने से प्रदेश के हर कार्यालय में बाबा साहेब आंबेडकर का फोटो भी लगेगा। इसमें कोई राजनीति नहीं है। हमारा हर कार्यकर्ता बाबा साहेब को अपना आदर्श मानता है।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि बाबा साहेब के नाम में जो बदलाव आया है, कोई ऐसा नहीं है जो उनका नाम न जानता हो। कोई भी नागरिक जो यह जानता है कि उसे एक वोट डालने का अधिकार है, वह भीमराव अम्बेडकर को जरूर जानता होगा। आज जरूरी यह है कि जहां उनके नाम के साथ और नाम भी जुड़ रहा है, वहीं उनके बताए रास्ते पर भी चला जाए।

संविधान दस्तावेज पर हस्ताक्षर में अम्बेडकर के बजाय आंबेडकर है लिखा
मालूम हो कि राज्यपाल नाईक पूर्व में भी अंबेडकर के स्थान पर आंबेडकर लिखने की यह कहते हुए वकालत कर चुके हैं कि इस महापुरुष ने संविधान के दस्तावेज पर जो हस्ताक्षर किए थे, उसमें अम्बेडकर के बजाय आंबेडकर ही लिखा था। नाईक ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बाबा साहिब डा. भीमराव अंबेडकर महासभा को पत्र लिखकर अपनी चिंता भी जाहिर की थी। बहरहाल, राज्य सरकार के इस कदम की विपक्ष ने तीखी आलोचना की है।

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