फलों और सब्जियों के छिलकों से कैंसर और दिल की बीमारी का इलाज

Edited By ,Updated: 30 Sep, 2015 07:22 PM

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बीएचयू के खाद्य विज्ञानं और प्रौद्योगिकी विभाग में फलो और सब्जियों के छिलकों से बने उन खाद्य प्रदार्थों पर शोध हो रहा है जिनमें...

बनारस (विपिन मिश्रा): बीएचयू के खाद्य विज्ञानं और प्रौद्योगिकी विभाग में फलो और सब्जियों के छिलकों से बने उन खाद्य प्रदार्थों पर शोध हो रहा है जिनमें स्वाद के साथ ही सेहत का खज़ाना भी छिपा है। एंटीऑक्सीडेंट के भंडार से भरे सेब, अनार और अंगूर जैसे फलो और दूसरी सब्जियों के छिलकों का पाउडर बना कर दही, श्रीखण्ड और चॉकलेट जैसे उत्पाद बनाने की तैयारी है। ये उत्पाद कैंसर और हार्ट जैसी गंभीर बिमारियों की रोकथाम में कारगर साबित होंगे। बीएचयू के खाद्य विज्ञानं और प्रौद्योगिकी विभाग में इन दिनों शोध छात्र अनार और सेब के छिलके उतारते हुए दिख जायेंगे। वे आम तौर पर फेक दिए जाने वाले इन छिलकों पर अपना शोध कर रहे हैं।

इन छिलकों से ऐसा पाउडर तैयार कर रहें हैं, जिसमें कई  बिमारियों से हमें बचाने की क्षमता है। छिलकों में काफी मात्रा में पाया जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट की गुणवत्ता इस शोध का आधार है। इस शोध के इंचार्ज और विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा अरविन्द बताते हैं कि आम तौर पर फलो और सब्जियों के छिलकों को फेक दिया जाता है मगर उनमें एंटीऑक्सीडेंट का भंडार होता है। इस शोध के पीछे छिलकों की उसी गुणवत्ता का सही इस्तेमाल करना है। छिलकों  एंटीऑक्सीडेंट निकालने का एक खास तरीका है।

इन छिलकों को एक खास वैक्यूम मशीन में सुखाया जाता है जिससे इनकी गुणवत्ता बनी रहे और फिर एक दूसरी मशीन से इनका पाउडर तैयार किया जाता है जो एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। इस पाउडर को मिला कर दही, श्रीखण्ड और चॉकलेट बनाने की तैयारी है जिससे इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट हमारे शरीर में बिमारियों को बढ़ाने वाले फ्री रेडिकल्स को रोक कर हमें कैंसर और हार्ट डिजीज जैसे बिमारियों से बचाएगा। इसके जरिए दूध से बने उत्पादों और चॉकलेट तैयार करने के पीछे मकसद है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे इस्तेमाल कर सकें। लैब स्तर पर यह प्रयोग अपनी गुणवत्ता की कसौटी पर खरा उतर चुका है।

जल्द ही चूहों और फिर इंसान पर इसका परिक्षण कर इससे तैयार उत्पादों को बाजार में लाने की तयारी है। इस रिसर्च में खाद्य विज्ञानं और प्रौद्योगिकी विभाग के रिसर्च स्कॉलर भी ख़ास मेहनत कर रहे है ।उनका कहना है की ये रिसर्च आम जनता व  कैंसर और हार्ट डिजीज के लिए खास उपयोगी साबित होगा। इस प्रयोग की सफलता के बाद यह साफ है कि जिन छिलकों को हम बेकार समझ कर फेक देते हैं वो उतने ही काम के हैं जितने की फल और सब्जी। इसलिए अब ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी की अब आम के आम तो मिलंगे ही उसके साथ गुठलियो के भी दाम मिलेंगे।

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