Edited By ,Updated: 23 Apr, 2016 08:48 PM
रीढ़ की हड्डी में चोट से स्पाइनल कोर्ड क्षतिग्रस्त होने के कारण लकवाग्रस्त मरीज अब अपने छोटे-मोटे काम अपने हाथ से कर सकेंगे।
मेरठ(आदिल रहमान): रीढ़ की हड्डी में चोट से स्पाइनल कोर्ड क्षतिग्रस्त होने के कारण लकवाग्रस्त मरीज अब अपने छोटे-मोटे काम अपने हाथ से कर सकेंगे। मेरठ के मैकेनिकल इंजीनियर गौरव ने इसके लिए एक कंप्यूटर चिप इजाद की है। इसका उन्होंने अमेरिका के ओहियो शहर में क्लीनिकल रिसर्च के दौरान एक मरीज पर सफल परीक्षण भी किया है। मेरठ के रहने वाले गौरव ने अपनी इस कामयाबी से पूरी दुनिया में देश का गौरव भी बढ़ा दिया है।
कामयाबी का सफर
गौरव शास्त्रीनगर के सेक्टर 6 निवासी स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त डिप्टी मैनेजर वी.के शर्मा के पुत्र हैं। मैकेनिकल इंजीनियरिंग पूरी करके गौरव शोधकार्य के लिए वर्ष 2002 में विदेश चले गए थे। मास्टर ऑफ साइंस के बाद नार्थ ईस्टर्न यूनिवर्सिटी बोस्टन से बायो टेक्नोलॉजी में पी.एच.डी पूरी की। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में इंजीनियरिंग को जोड़कर उन्होंने ऐसे लोगों की मदद करने की ठानी जो कि लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं अथवा दवा ले पाने में असमर्थ होते हैं। बैटले मेमोरियल इंस्टीट्यूट ओहियो में क्लीनिकल रिसर्च में जुटे गौरव ने एक ऐसी कंप्यूटर चिप तैयार करने में सफलता प्राप्त की जो कि रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण स्पाइनल कॉर्ड ( मेरुरज्जा) के क्षतिग्रस्त होने के कारण लकवाग्रस्त हुए मरीजों को हाथ का संचालन कराने में सफल हो गई हैं। ऐसे मरीजों का दिमाग काम करता है, लेकिन उनके हाथ-पांव आदि काम करना बंद कर देते हैं। गौरव ने ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के साथ संयुक्त प्रयास करके उन्होंने एक मरीज के मस्तिष्क में चिप को प्लांट करके कंप्यूटर की मदद से उसके दिमाग के संदेश पढ़कर इलेक्ट्रिक करंट के माध्यम से उनके हाथ को हरकत में लाने में सफलता पा ली।
माता-पिता बेहद खुश
गौरव की इस कामयाबी से मेरठ में रह रहे उनके माता-पिता भी बेहद खुश हैं। गौरव की मां शशि कहती हैं कि उन्हें पता था की गौरव एक दिन उनका नाम रोशन करेगा लेकिन इतनी जल्दी वो ये करने में कामयाब होगा उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था। उनका कहना है की गौरव की ये उपलब्धि लकवाग्रस्त लोगों के लिए वरदान साबित होगी। वहीं बैंक से रिटायर्ड गौरव के पिता वी.के शर्मा भी आज खुशी से गदगद हैं। साथ ही वो ये भी कहते हैं कि गौरव चाहे विदेश में रहे या यहां पर पर समाज की तरक्की के लिए उसे काम करते रहना चाहिए।