Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 May, 2017 03:39 PM
तीन तलाक के मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि मुस्लिम महिलाओं सहित किसी भी....
इलाहाबादः तीन तलाक के मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि मुस्लिम महिलाओं सहित किसी भी व्यक्ति के मूल अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि लिंग के आधार पर मूल और मानवाधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि कोई भी पर्सनल लॉ संविधान से ऊपर नहीं है। हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि पर्सनल लॉ के नाम पर मुस्लिम महिलाओं सहित सभी नागरिकों को प्राप्त अनुच्छेद 14, 15 और 21 के मूल अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा है कि जिस समाज में महिलाओं का सम्मान नहीं होता है, उसे सिविलाइज्ड नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा है कि लिंग के आधार पर भी मूल और मानवाधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि कोई भी मुस्लिम पति ऐसे तरीके से तलाक नहीं दे सकता है, जिससे समानता और जीवन के मूल अधिकारों का हनन होता हो। हाईकोर्ट ने कहा है कि कोई भी पर्सनल लॉ संविधान के दायरे में ही लागू हो सकता है। फतवे पर कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई फतवा मान्य नहीं है जो न्याय व्यवस्था के विपरीत हो।
बता दें कि इसके साथ ही कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के दर्ज मुकदमे को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी है। बता दें यह केस तीन तलाक से पीड़ित वाराणसी की सुमालिया ने पति अकील जमील के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज किया था। जिसके बाद पति ने तलाक के बाद दर्ज किए गए मुकदमे को रद्द करने की मांग की थी। जस्टिस एसपी केशरवानी की एकल पीठ ने इस याचिका को रद्द कर दिया था।