अपने ही घर में बेगाने हुए मुलायम सिंह यादव

Edited By ,Updated: 12 Feb, 2017 10:34 AM

alien in your own home  mulayam

समाजवादी पार्टी में हाल में हुई घरेलू उठापटक का असर चुनाव में दिखाई दे रहा है।

लखनऊ:समाजवादी पार्टी में हाल में हुई घरेलू उठापटक का असर चुनाव में दिखाई दे रहा है। पार्टी के अधिकांश उम्मीदवार एक जमाने सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव कन्नी काटते दिखाई पड़ रहे हैं। यहां तक कि सपा का गढ़ माने जाने वाले मैनपुरी इलाके के सपा प्रत्याशी मुलायम को प्रचार में शामिल नहीं करना चाहते। यहां के सपा प्रत्याशियों का मुलायम पर से विश्वास उठ गया है। उनका मानना है कि पिछले दो-तीन महीनों में उनके दिए बयानों की वजह से पार्टी को नुक्सान हुआ है।

13 फरवरी को मैनपुरी में मुलायम की होने वाली सभाओं को किया रद्द
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि प्रत्याशियों के दबाव के कारण 13 फरवरी को मैनपुरी में मुलायम की होने वाली सभाओं को रद्द कर दिया गया है। उनको मैनपुरी सिटी, भोगांव और किशनी विधानसभा क्षेत्रों के उम्मीदवारों के पक्ष में सभाएं करनी थीं। मैनपुरी सिटी से प्रत्याशी व वर्तमान विधायक राजकुमार यादव, भोगांव से आलोक शाक्य और किशनी से बृजेश कथेरिया तीनों अखिलेश खेमे के हैं। शिवपाल यादव की प्रत्याशियों की सूची में तीनों का नाम नहीं था लेकिन अखिलेश के बगावती तेवरों के बाद उनको टिकट दिया गया। यहां तक कि करहल विधानसभा क्षेत्र से शिवपाल की पसंद के प्रत्याशी सोबरन सिंह का नाम हटाकर अखिलेश ने अपने परिवार के अंशुल यादव को टिकट दिया है। अंशुल अभी इटावा जिला परिषद के चेयरमैन हैं। हालांकि पार्टी की कमान संभालने के बाद अखिलेश ने सोबरन को टिकट दिया क्योंकि उनका नाम मुलायम द्वारा जारी 38 लोगों की सूची में था।

मैनपुरी के सपा प्रत्याशी नहीं चाहते मुलायम से प्रचार कराना
बता दें कि मुलायम के कार्यालय ने उनकी मैनपुरी की सभाओं के रद्द होने की बात स्वीकार की है लेकिन इसका कारण नहीं बताया। मुलायम के एक करीबी का कहना है कि जब मैनपुरी के उम्मीदवार ही नहीं चाहते कि मुलायम उनके लिए प्रचार करें तो कोई क्या कर सकता है। हालांकि, पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि मैनपुरी के प्रचार में उनका न होना पार्टी की संभावनाओं को नुक्सान पहुंचा सकता है। सभी प्रत्याशी खुलकर अखिलेश के समर्थन में आ गए हैं। यहां तक कि कुछ ने तो शिवपाल की सांकेतिक शवयात्रा भी निकाल दी। उनको इतना विश्वास तो जरूर है कि उनके खिलाफ नेताजी न तो सार्वजनिक रूप से कुछ कहेंगे और न ही उन घटनाओं पर कोई प्रतिक्रिया देंगे, जिनकी वजह से वे पार्टी में बिल्कुल अलग-थलग पड़ गए हैं। दूसरी ओर मैनपुरी के पूर्व पार्टी जिलाध्यक्ष माणिकचंद यादव  कहते हैं कि अगर उनको लगता है कि नेताजी कोई महत्व नहीं रखते तो उनको मतगणना के बाद हकीकत पता चल जाएगी। माणिकचंद यादव ने मुलायम के समर्थन में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।  पार्टी के जिलाध्यक्ष खुमन सिंह वर्मा भी मुलायम की सभाओं के रद्द होने की वजह नहीं बता पाए।

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