चुनाव में मिली करारी शिकस्त की वजह तलाश रहे हैं अखिलेश

Edited By ,Updated: 04 Apr, 2017 09:27 AM

akhilesh is exploring the reason for the defeat in the elections

यूपी विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त की वजह जानने में समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जुटे हुए हैं।

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त की वजह जानने में समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जुटे हुए हैं। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि यादव ने विधानसभा के चुनाव परिणामों की समीक्षा का क्रम जारी रखते हुए फर्रूखाबाद, इटावा, औरैया, मैनपुरी, फिरोजाबाद, कन्नौज, एटा एवं कासगंज जिलों की विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों तथा प्रमुख नेताओं से मुलाकात की।

उन्होंने बताया कि समीक्षा में यह तथ्य उजागर हुआ है कि कुछ लोगों ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी के प्रत्याशियों के विरूद्ध आचरण कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को समर्थन दिया। ऐसे लोगों को जिन्होंने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों का विरोध कर अनुशासनहीनता की, चिन्हित किया जा रहा है। चौधरी ने बताया कि पार्टी संगठन को मजबूत बनाने के लिए अब युवा संगठनों सहित सभी फ्रंटल संगठनों और जिला, शहर इकाइयों को भी सक्रिय बनाने की कार्ययोजना बना रही है। इधर 15 अप्रैल से सदस्यता भर्ती की तैयारी भी जोर शोर से की जा रही है।

सपा प्रवक्ता ने कहा कि अखिलेश यादव की छवि आज भी बेदाग है। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में प्रदेश में विकास के जो भी कार्य किए उनकी प्रशंसा देश भर में हुई है। विधानसभा में भी विपक्षी नेताओं ने उनकी मुक्त कंठ से सराहना की थी। जनहित की तमाम योजनाएं लागू कर उन्होंने प्रदेश को विकास की नई मंजिलों पर पहुंचाया है।

उल्लेखनीय है कि अखिलेश यादव का राजनीतिक व्यक्तित्व संघर्षों से तपकर निखरा है। वे डेढ़ दशक से राजनीति में सक्रिय हैं। सांसद और मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने प्रदेश की समस्याओं को गहराई से समझा है। उन्होंने प्रदेश के हर जिले और गांव-गरीबों का जीवन देखा समझा है। उनका मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूर्णतया पारदर्शी, ईमानदार और लोकहितैषी रहा है। वे किसान, नौजवान, गरीब और अल्पसंख्यकों की बेहतरी के लिए प्रयासशील रहे हैं। सांप्रदायिक और संकीर्ण तत्वों का उन्होंने डटकर विरोध किया है।

लोगों का मानना है कि आज की राजनीति में मूल्यों और आदर्शों की जगह छिलापन प्रभावी हो गया है। इससे लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए और संघर्ष करना जरूरी हो गया है। यह ऐसा समय है जब सामाजिक एकता और सछ्वाव को बचाए रखने के लिए लोकतंत्र धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद से प्रतिबद्ध सभी लोगों को एकजुट होना होगा और भितरघाती तत्वों, सांप्रदायिक, विघटनकारी एवं भगवा राजनीति की साजिशों के खिलाफ भी संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा।

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