Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Mar, 2018 09:25 AM
उत्तर प्रदेश की फूलपुर और गोरखपुर में गठबंधन के सहारे भाजपा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में और उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य की सीट पर भाजपा को हराने के बाद बुआ (माया) और भतीजे (अखिलेश) की जोड़ी यूपी के कैराना में एक होकर चुनाव लड़ सकती...
आगरा: उत्तर प्रदेश की फूलपुर और गोरखपुर में गठबंधन के सहारे भाजपा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में और उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य की सीट पर भाजपा को हराने के बाद बुआ (माया) और भतीजे (अखिलेश) की जोड़ी यूपी के कैराना में एक होकर चुनाव लड़ सकती है।
बताया जा रहा है कि इस सीट के लिए भी माया और अखिलेश में तैयारी चल रही है। इस सीट पर मोदी लहर पर सवार होकर 7 बार के विधायक भाजपा के हुकम सिंह सांसद बने थे जिनके निधन के बाद यह सीट खाली चल रही है। यह सीट इससे पहले बसपा की तब्बसुम बेगम के हाथ में थी जिन्होंने भाजपा के हुकम सिंह को हराया था और उससे पहले आर.एल.डी. की अनुराधा चौधरी के हाथ में थी जिन्होंने बसपा के शाहनवाज को हराया था।
गौरतलब है कि हुकम सिंह का नाम मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान महापंचायत में आया था और उसके बाद हुकम सिंह पलायन का मुद्दा उठाकर अखिलेश सरकार में पहचान में आए थे, जिसके बाद इस क्षेत्र में जमकर वोटों का ध्रुवीकरण हुआ था और उसका लाभ भाजपा को 2017 में हुआ था।
रालोद, सपा और बसपा मिलकर बिगाड़ सकते हैं गणित
कैराना लोकसभा पर मुस्लिम वोट बहुतायत मात्रा में हैं। यहां सपा-बसपा के साथ जाट वोट होने के कारण व मुस्लिम और जाट समीकरण के कारण छोटे चौधरी अजीत सिंह का राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) भी मजबूत माना जाता है।