Edited By ,Updated: 01 Apr, 2017 02:41 PM
उत्तर प्रदेश में बूचड़खानों की बंदी के चलते चमड़ा यानि लैदर से बनने वाली क्रिकेट बॉल का व्यापार इन दिनों काफी नुकसान में चल रहा है....
मेरठः उत्तर प्रदेश में बूचड़खानों की बंदी के चलते चमड़ा यानि लैदर से बनने वाली क्रिकेट बॉल का व्यापार इन दिनों काफी नुकसान में चल रहा है। चमड़े की किल्लत के चलते क्रिकेट बॉल की कीमतों में जो उछाल आया है, वो बेहद चौकाने वाला है। पिछले करीब एक साल के भीतर इसकी कीमतें दोगुना बढ़ गई हैं। ऐसे में बाजार में लैदर की गेंद की डिमांड ज्यादा व सप्लाई कम होने की स्थिति पैदा हो गई है। इस सबके पीछे वजह पिछले कुछ समय से पशु कटान पर लगा प्रतिबंध है।
क्रिकेट बॉल व्यापार प्रभावित, मजदूरों को धिक्कत
दरअसल हाल ही के दिनों में जिस तरह से उत्तर प्रदेश में बीफ व अन्य पशुओं का कटान नहीं हो रहा है, बूचड़खाने बंद हैं इसने कहीं ना कहीं लैदर से बनने वाली क्रिकेट बॉल के व्यापार को प्रभावित होना पड़ा है। जानवरों के कटान पर प्रतिबंध के चलते चमड़े की उपलब्धता में भारी कमी आई है, जबकि इसकी कीमत अब बहुत बढ़ गई हैं।
व्यापारियों के पास चमड़ा नहीं आ रहा है और अब चमड़े की कीमत दोगुनी हो गई है। ऐसे में चमड़ा व्यापारी डरा हुआ है इसलिए अब बॉल निर्माताओं को चमड़े की कमी पूरी करने के लिए मानों नाकों चने चबाने जैसा महसूस हो रहा है। ऊपर से महंगाई ने दोहरी मार दी है। वहीं एेसे में क्रिकेट बॉल बनाने वाले मजदूरों की रोज मर्रा की जिन्दगी भी प्रभावित हो रही है। रोजगार न मिलपाने की वजह से उन्हे काफी धिक्कतें आ रही है।