UP पुलिस का कारनामाः गुमशुदा युवक का लावारिस में कर दिया अंतिम संस्कार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Jul, 2017 11:22 AM

function of up police missing young man funeral done

भले ही सूबे में निजाम बदल गया हो लेकिन नहीं बदला तो पुलिस प्रशासन के काम करने का तरीका। इसलिए....

गाजियाबादः भले ही सूबे में निजाम बदल गया हो लेकिन नहीं बदला तो पुलिस प्रशासन के काम करने का तरीका। इसलिए आए दिन यूपी पुलिस अपने कारनामों के चलते चर्चाओं में बनी रहती है। ताजा मामला गाजियाबाद का है जहां पुलिस ने लावारिस लाश की शिनाख्त करने से पहले ही लाश का अंतिम संस्कार कर दिया। वहीं मामला सामने आने के बाद सूबे के डीजीपी सुलखान सिंह ने कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए है।

पुलिस ने शिनाख्त से पहले ही कर दिया अंतिम संस्कार
दरअसल साहिबाबाद इलाके का रहने वाला 24 साल का मनदीप बीते 9 जुलाई से घर से लापता था। काफी खोजबीन के बाद परिवार वालों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज करवाई थी। इसी दौरान 15 जुलाई को पुलिस का एक फोन पीड़ित परिवार वालों के पास आता है।पुलिस वाले ने बताया कि उसके बेटे की लाश मिली है। जिसका अंतिम संस्कार लावारिस में कर दिया गया है। जवान बेटे की मौत की सूचना मिलते ही घर में कोहराम मच गया।

जानिए क्या था मामला
जानकारी के मुताबिक मृतक मनदीप ऑटो चलाकर बुढ़े मां-बाप का एक सहारा था। वहीं मनदीप के पिता गिरीश नेगी ने बताया कि उनका बेटा 9 जुलाई को लापता हुआ था। उन्होंने 10 तारीख को अपने रिश्तेदारों से लेकिन उसके दोस्तों से पूछताछ की, लेकिन उसका कुछ भी पता नहीं चला।

परिजनों ने पुलिस पर लगाएं संगीन आरोप
जब वो 11 जुलाई को साहिबाबाद थाने जाकर अपने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाने गए तो उसे बड़ा फोटो लाने का बहाना बनाकर लौटा दिया गया। जिसके बाद जाकर 12 तारीख को रिपोर्ट लिखी गई। लेकिन 13 को बेटे की लाश को इन पुलिस वालों ने लावारिस दिखकर अंतिम संस्कार कर दिया। वहीं परिजनों को मौत की सूचना साहिबाबाद थाने ने 15 जुलाई को दी।
पीड़ित परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उनके बेटे की मौत पुलिस की पिटाई से हुई हैं। मृतक मनदीप की मां का आरोप है कि पुलिस ने चोर होने के शक में मेरे बेटे को उठाया और बेरहमी से उसकी पिटाई की। जिसके कारण उसकी मौत हो गई।

डीजीपी ने दिए जांच के आदेश
अब इस मामले में पीड़ित परिजनों से सूबे के डीजीपी सुलखान से ट्वीट करके न्याय की गुहार लगाई है। इस मामले में डीजीपी दफ्तर ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए एसएसपी को तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए है।

उठ रहे ये सवाल 
जाहिर है कि ये पूरा मामला पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़ा करता है। नियम के मुताबिक इन पुलिस वालों को लावारिस लाश को 72 घंटे तक मोर्चरी में रखना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति उस इलाके से लापता हो तो उनके परिजनों को सूचना देकर शिनाख्त करवाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
इसके बाद भी अगर उस लाश की शिनाख्त ना हो पाए तो अखबार में विज्ञापन के जरिए सूचना को फोटो सहित प्रकाशित करना चाहिए। इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है। वहीं एनएचआरसी की टीम पीड़ित परिवार से मिलकर उनका बयान दर्ज कर सकती है।

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