Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Dec, 2017 03:11 PM
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 3 तलाक को लेकर केन्द्र के प्रस्तावित विधेयक के मसौदे से सहमति व्यक्त की है। ऐसा करने वाली वह देश की पहली राज्य सरकार है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंगलवार शाम हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में....
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 3 तलाक को लेकर केन्द्र के प्रस्तावित विधेयक के मसौदे से सहमति व्यक्त की है। ऐसा करने वाली वह देश की पहली राज्य सरकार है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंगलवार शाम हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में 3 तलाक पर प्रस्तावित विधेयक के मसौदे पर रजामंदी जाहिर की गई। मसविदे में 3 तलाक या तलाक-ए-बिदअत को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध करार देते हुए इसके दोषी को 3 साल कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही 3 तलाक देने पर पत्नी और बच्चों के भरण-पोषण का खर्च भी देना होगा।
राज्य सरकार के प्रवक्ता स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि केन्द्र ने राज्य सरकार को वह मसविदा भेजते हुए 10 दिसम्बर तक उस पर राय देने को कहा था। मंत्रिपरिषद की सहमति मिलने के बाद इसे वापस केन्द्र के पास भेजा जाएगा। एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि यूपी 3 तलाक सम्बन्धी विधेयक के मसविदे पर सहमति देने वाला पहला राज्य है। इस विधेयक को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में पेश किए जाने की सम्भावना है।
उन्होंने बताया कि इस साल गत 22 अगस्त को उच्चतम न्यायालय द्वारा 3 तलाक को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद देश में 3 तलाक के 68 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें उत्तर प्रदेश अव्वल है। उच्चतम न्यायालय द्वारा पाबंदी लगाए जाने के बावजूद देश में 3 तलाक के बढ़ते मामलों के मद्देनजर केन्द्र सरकार ने ‘मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरेज बिल’ का मसविदा तैयार किया है। इसे विभिन्न राज्य सरकारों के पास विचार के लिए भेजा गया है। इस मसविदे को केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई वाले अन्तरमंत्रालयी समूह ने तैयार किया है।