Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Jul, 2017 01:57 PM
आज हम आपको ब्रिटिश काल के एक एेसे फौजी के जीवन से परिचित कराने जा रहे है, जिसे देश की रक्षा के बदले में आज भी सम्मान नहीं मिला है....
बांदाः आज हम आपको ब्रिटिश काल के एक एेसे फौजी के जीवन से परिचित कराने जा रहे है, जिसे देश की रक्षा के बदले में आज भी सम्मान नहीं मिला है। यूपी के बांदा जिले में रहने वाला ये शक्स फौजी होते हुए भी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। इनकी उम्र करीब 125 वर्ष है। यह ब्रिटिश इंडियन आर्मी में अंग्रेजी सेना का टैंकर चलाया करते थे। उन्होंने सेकेंड वर्ल्ड वार में भी भाग लिया, लेकिन आज यह अपनी माली हालत से जूझ रहे हैं।
गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर
बता दें कि इस फौजी के परिवार में 6 लड़के हैं, जिनमें से 3 की मौत हो चुकी है। अन्य 3 दूसरे के खेतों में मजदूरी का काम करते हैं। संपत्ति के नाम पर इनके पास एक टूटी फूटी झोपड़ी है, जिसमें ना खाने का सामान है, ना ही जीवन बसर करने योग्य कोई वस्तु। तन्हाई और गुमसुम में अपनी जिंदगी काट रहे इस फौजी को इलाके में मेजर के नाम से जाना जाता है और इनका असली नाम गोपाल सिंह है।
द्वितीय विश्व युद्ध में लिया था भाग
यह फौजी बांदा जिले के तिंदवारी थाना क्षेत्र में जौहरपुर गांव का रहने वाला है। जोकि गुमनामी और मुफलिसी के अंधेरे में जीने को मजबूर है। गोपाल जब 40 वर्ष की उम्र के थे तभी उन्होंने ब्रिटिश इंडियन आर्मी में रहते हुए द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया। यह सेना के टैंकर चलाने की जिम्मेदारी संभालते थे।
प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिली
इनकी बदहाली का ये आलम है कि आजाद भारत में इनको अब तक ना राशन कार्ड की सुविधा मिली है, ना ही कोईअन्य सरकारी सहायता। वह एक टूटी फूटी झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं यहां तक की प्रशासन को भी इनके बारे में जानकारी नहीं है। इनको कोई सरकारी सहायता भी नहीं मिलती और पूरा परिवार जिसमें करीब 8 लोग हैं भुखमरी की कगार पर है।