यूपी की सत्ता पर योगी सरकार के 6 महीने पूरे, जानिए कितने वादे पूरे, कितने अधूरे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Sep, 2017 06:33 PM

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देश के सबसे बड़े प्रदेश, उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुए योगी सरकार को 6 महीने हो गए हैं। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोगों के सामने यूपी की पिछली सपा-बसपा सरकार के रिपोर्ट कार्ड को ‘श्वेत पत्र 2017’ के रूप में पेश किया।

लखनऊ: देश के सबसे बड़े प्रदेश, उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुए योगी सरकार को 6 महीने हो गए हैं। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोगों के सामने यूपी की पिछली सपा-बसपा सरकार के रिपोर्ट कार्ड को ‘श्वेत पत्र 2017’ के रूप में पेश किया। वहीं अपने रिपोर्ट कार्ड को सरकार ने 1-2 दिन में पेश करने की बात कही है। इस पहले हम आपको अपनी तरफ से योगी सरकार के 6 महीने का रिपोर्ट कार्ड दिखाते हैं।
 
6 महीनों में कितनी सफल रही सरकार- 
1.कानून व्यवस्था: 
राज्य में कानून व्यवस्था अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। फिछले 6 महीने में कोई खास फर्क देखने को नहीं मिला है। सर्राफा व्यापारियों की हत्या, लोगों में असुरक्षा या फिर महिलाओं से दिन ब दिन हो रहे रेप, गैंगरेप, अपहरण मामले में अभी भी बढ़ोत्तरी हो रही है। इन वारदातों से साफ पता चलता है कि शुरुआती तीन महीनों में योगी सरकार कानून का इकबाल कायम करने में नाकाम रही। विधानसभा में एक सवाल के जवाब में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि सरकार के गठन से लेकर 9 मई तक राज्य में कुल 729 हत्याएं, 803 बलात्कार, 60 डकैती, 799 लूट और 2682 अपहरण की घटनाएं हुईं। एक सर्वे में ये भी बातें सामने आ चुकी हैं कि योगी सरकार में पिछली सपा सरकार के मुकाबले ज्यादा क्राइम बढ़े हैं। हालांकि पिछले डेढ़ महीनों में एनकाउंटर कर बदमाशों का सफाया किया गया है। 6 महीनों के अंदर पुलिस 420 एंकाउंटर कर चुकी है जिसमें 15 बदमाश ढेर हुए हैं। कुल मिलाकर, पुलिस छह महीने में 1106 बदमाशों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी है।
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2.जन स्वास्थ्य:
अगर सबसे ज्यादा किसी मुद्दे पर योगी सरकार की किरकिरी हुई है तो वो है जनस्वास्थ्य का मुद्दा। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अबतक एक हज़ार से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है और इस घटना की जि़म्मेदारी एवं निदान की बजाय प्रशासन से लेकर सरकार एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं। बच्चों की मौत के कारण सरकार की बहुत निंदा हुई। हालांकि सरकार का कहना है कि इसके पीछ ऑक्सीजन की कमी कारण नहीं है। बात अगर बीआरडी मेडिकल कॉलेज तक सीमित रहती तो शायद योगी सरकार को राहत मिल जाती। लेकिन बच्चों की मौत का सिलसिला गोरखपुर से निकलकर फर्रुखाबाद तक जा पहुंचा. फर्रुखाबाद के लोहिया अस्पताल में 50 बच्चों की मौत ने योगी सरकार के कामकाज पर गंभीर सवाल उठाए। सरकार ने दोनों अस्पतालों की जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन इन दो मामलों ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगी सरकार की मिट्टी पलीत कर दी।
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3.बिजली:
सरकार ने 6 महीने पहले अपने संकल्प पत्र में 24 घंटे बिजली देने का वादा किया था लेकिन अभी तक ऐसा हो न पाया। जब योगी सरकार अपना 6 महीने का जश्न मना रही होगी, उसी समय यूपी के कई जिलो में बिजली का हाल बेहाल है। कहीं जिला कलेक्टर के खिलाफ नारेबाजी हो रही है, तो कहीं लोग बिजली स्टेशन में तोडफ़ोड़ कर रहे हैं। योगी सरकार ने बिजली को लेकर वीवीआईपी जिले की पहचान तो खत्म कर दी लेकिन ज्यादातर जिलों में कई वजह से बिजली संकट गहराई हुई है। खुद बिजली मंत्री भी मानते हैं बिजली की हालत ठीक नहीं है। मंत्री कहते हैं उन्हे विरासत में खस्ताहाल बिजली व्यवस्था मिली, इसलिए उसे सुधारने में वक्त लगेगा।
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4. सड़क:
अपने शुरुआती 100 दिनों में सरकार ने सड़कों को गड्ढ़ा मुक्त बनाने का संकल्प लिया था, लेकिन करीब उससे दोगुने वक्त में भी सड़कों के गड्ढे भर नहीं पाए हैं। 100 दिन के बाद योगी सरकार की तरफ से दलील दी गई कि भ्रष्टाचार के गड्ढे इतनी जल्दी नहीं भर सकते। समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे अधर में लटका हुआ है। जिस एक्सप्रेसवे से योगी सरकार ने समाजवादी नाम हटाकर सिर्फ पूर्वांचल एक्सप्रेसवे रख दिया है, उसे वह आगे बढ़ाने में फिलहाल सफल होती नहीं दिख रही। सरकारी बजट में पैसा नहीं है, इसलिए अब सरकार पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को एनएचएआई के साथ आगे बढ़ाना चाहती है। गोमती रिवर फ्रंट दुर्दशा की मार झेल रहा है। गोमती रिवर फ्रंट अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट था जो फिलहाल सीबीआई जांच कि आंच झेल रहा है और अब दुर्दशा के हाल में है। वाराणसी में वरुणा के रिवर फ्रंट का भी यही हाल है। अखिलेश यादव की सुपर स्पेशालिटी कैंसर और लीवर अस्पताल बनाने की योजना भी फिलहाल खटाई में है।
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5. किसान कर्ज माफी रही सफल: 
सरकार इस योजना को लागू करने में सफल रही है। किसानों के एक लाख तक के कर्ज सरकार ने माफ किए हैं। हालांकि कुछ पैसे से लेकर कुछ रुपए तक की कर्जमाफी ने योगी सरकार की थोड़ी किरकिरी जरूर कराई है। लेकिन लाखों किसानों के एक लाख तक के कर्ज माफ हुए हैं, और फिलहाल योगी सरकार का यह वायदा जमीन पर उतरता दिख रहा है। इसके लिए योगी सरकार अपनी पीठ थपथपा सकती है।
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6.एंटी रोमियो स्कवाड:
शुरुआत में इस स्कवाड ने काफी तहलका मचाया था। पार्कों, रोस्टोरेंट आदि से प्रेमी जोड़ों को निशाना बनाया था लेकिन अब इसने चुपचाप होकर लड़कियों की शिकायतों पर काम करना शुरू कर दिया है। हालांकि एंटी रोमियो अभियान को सफल बनाने में अखिलेश सरकार द्वारा शुरू किए गए हेल्पलाइन नंबर 1090 का भी योगदान रहा। लेकिन जिस तरीके से एंटी रोमियो स्क्वाड को प्रशिक्षण दिया गया, आंतरिक रूप से बदला गया प्रेमी जोड़ों को न छोडऩे की हिदायत दी गई उससे एंटी रोमियो स्क्वाड योजना सफल दिख रही है।
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7. एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स:
भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में सरकारी और गरीबों की जमीनें दबंगों के कब्जे से खाली कराने का बड़ा वादा किया था, जिस पर योगी आदित्यनाथ ने बड़ी शिद्दत से मेहनत की और एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स बनाकर दबंगों से जमीने खाली भी करवाईं। गायत्री प्रजापति और अतीक अहमद जैसे दबंगों की जमीनें खाली करवाई गईं और साथ ही इनके अवैध आलीशान निर्माण गिरा दिए गए।
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8. अवैध बूचडख़ानों पर लगाम:
योगी सरकार ने गोरक्षा को लेकर बेहद सख्त कदम उठाया। प्रदेश में धडल्ले से चल रहे अवैध बूचडख़ानों पर ताले लटका दिए। इसको लेकर भी काफी उहापोह की स्थिति बन गई। इसकी चपेट में बड़े मीट व्यापारी तो आए ही, उनके साथ ऐसे भी लोगों पर असर पड़ा जिनकी रोजी-रोटी इससे चलते थी। हालांकि कई तरह की कंनफ्यूजन की स्थिति के बाद हालात संभाले गए। उधर केंद्र सरकार की ओर से गोरक्षा को लेकर लागू किए गए नए कानून के बाद से इसके कुछ निगेटिव परिणाम दिखाए दे रहे हैं। गांव के किसान जो बहुत ज्यादा संख्या में पशु पालने की स्थिति में उन्होंने अपने मवेशी छोड़ दिए हैं और वो खेत के खेत उजाड़ रहे हैं। जिससे किसानों की फसल को काफी नुकसान पहुंच रहा है। योगी सरकार की ओर से अभी तक इस समस्या से निपटने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।
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