Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jun, 2017 05:47 PM
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार को बड़ा झटका दिया है। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के उस फैसले को निरस्त कर दिया जिसके तहत शिया वक्फ बोर्ड के 6 सदस्यों को हटा दिया गया था।
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार को बड़ा झटका दिया है। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के उस फैसले को निरस्त कर दिया जिसके तहत शिया वक्फ बोर्ड के 6 सदस्यों को हटा दिया गया था। जस्टिस रंजन रॉय और जस्टिस एसएन अग्निहोत्री की वकेशन बेंच ने कहा कि हटाए गए सदस्यों को पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया, जोकि वक्फ ऐक्ट 1995 के तहत अनिवार्य है। हालांकि कोर्ट ने सरकार को यह छूट दी है कि वह कानून के मुताबिक नए सिरे से कार्रवाई कर सकती है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने 16 जून को 6 सदस्यों को यह कहकर हटा दिया था कि ये वक्फ बोर्ड की संपत्ति को लेकर हुए भ्रष्टाचार में शामिल थे। हटाए गए सदस्यों में पूर्व राज्यसभा सांसद अख्तर हसन रिजवी, मुजफ्फरनगर की अफशा जैदी, मुरादाबाद के सैय्यद वली हैदर, बरेली के सय्यद अजीम हुसैन, विशेष सचिव नजमुल हसन रिजवी और आलिमा जैदी शामिल हैं। आलिमा जैदी ने सरकार के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी।
सरकार ने शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड को भंग करने का दिया था आदेश
इन सभी सदस्यों को समाजवादी पार्टी की पिछली सरकार ने नामांकित किया था। 15 जून को राज्य सरकार ने शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड को भंग करने का आदेश देने के साथ ही सीबीआई जांच की सिफारिश की है।
वक्फ सम्पत्तियों के बंदरबांट के लगे थे गंभीर आरोप
बता दें कि प्रदेश के शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड पर वक्फ सम्पत्तियों के बंदरबांट के गंभीर आरोप लगे हैं। वक्फ काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा हाल में इन आरोपों की जांच में भी विभिन्न अनियमितताएं पाई गईं थीं। शिया वक्फ बोर्ड पर लगे आरोपों की जांच में बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष वसीम रिजवी की भूमिका संदिग्ध मानी गई थी। साथ ही इसके छींटे पूर्ववर्ती सरकार में वक्फ मंत्री रहे आजम खान पर भी पड़े थे।प्रदेश के वक्फ राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने शिया और सुन्नी बोर्ड को लेकर वक्फ काउंसिल ऑफ इंडिया की अलग-अलग तैयार रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी थी।