Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 May, 2017 12:25 PM
अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को ध्वस्त किये गये विवादित ढांचे के मुकदमे में केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में पेशी पर आये भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मिलने अतिविशिष्ट अतिथि गृह...
लखनऊ: अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ध्वस्त किये जाने के मुकदमे में पेशी पर आये भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और डा0 मुरली मनोहर जोशी से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई नेताओं ने मुलाकात की।
मुलाकात करने वालों में इसी मामले में आरोपी पूर्व सांसद डा0 राम विलासदास वेदान्ती, धर्मदास, विश्व हिन्दू परिषद के चंपत राय, बैकुण्ठ लाल शर्मा और शिवसेना नेता सतीश प्रधान भी शामिल हैं। एमजी रोड स्थित अतिविशिष्ट अतिथि गृह में श्री आडवाणी और श्री जोशी के साथ आरोपी साध्वी ऋतंभरा, केन्द्रीय मंत्री उमा भारती, सांसद विनय कटियार और विश्व हिन्दू परिषद(विहिप) के पूर्व अध्यक्ष विष्णुहरि डालमिया भी मौजूद थे। अतिथि गृह में आरोपियों के वकीलों को भी बुलाया गया। कागजात तैयार कराये गये। वकीलों में से एक के के मिश्रा ने बताया कि कागजातों को तैयार करने के पीछे मन्शा है कि अदालत में कम से कम समय में वैधानिक कार्रवाई पूरी कर ली जाये।
इससे पहले पूर्व सांसद और अयोध्या मामले के आरोपी डॉ0 राम विलासदास वेदान्ती ने कहा कि उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है लेकिन वह चाहते हैं कि अयोध्या में ‘रामलला’ विराजमान स्थल पर शीघ्र ही भव्य मन्दिर का निर्माण हो। उनका कहना था कि कारसेवकों में इतना उत्साह था कि छह दिसबर 1992 को सबने मिलकर ढांचा ढहा दिया।
उन्होंने कहा कि 30 सितंबर 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ विशेष पूर्णपीठ ने ही तय कर दिया था कि रामलला विराजमान स्थल रामलला का ही है। इसलिए अब वहां मन्दिर निर्माण होना ही चाहिए। उच्चतम न्यायालय में मामला विचाराधीन है। पूरा भरोसा है कि उच्चतम न्यायालय भी मन्दिर के पक्ष में फैसला देगा। डॉ0 वेदान्ती का कहना था कि दूसरा पक्ष मस्जिद के लिए नहीं बल्कि ‘महज जिद’ के लिए लड़ रहा है। उसे करोड़ों लोगों की आस्था को देखते हुए मुकदमे से पीछे हट जाना चाहिए। इससे दूसरे पक्ष का मान ही बढ़ेगा।