Edited By ,Updated: 18 Jan, 2017 12:59 PM
‘सबका साथ, सबका विकास’ भाजपा का यह नारा चुनाव प्रचार के दौरान अक्सर सुनने को मिलता है परंतु जमीनी हकीकत इससे अलग है। अगर आप यू.पी. और उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए जारी पहली सूची पर नजर डालें तो एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नजर नहीं आएगा।
लखनऊ/देहरादून: ‘सबका साथ, सबका विकास’ भाजपा का यह नारा चुनाव प्रचार के दौरान अक्सर सुनने को मिलता है परंतु जमीनी हकीकत इससे अलग है। अगर आप यू.पी. और उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए जारी पहली सूची पर नजर डालें तो एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नजर नहीं आएगा।
भाजपा ने यू.पी. में 149 और उत्तराखंड में 64 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की लेकिन इसमें किसी भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया गया है। यह स्थिति तब है जबकि पार्टी में लंबे समय से अल्पसंख्यक मोर्चा भी सक्रिय है। संघ के अधीन रहकर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच भी कहीं न कहीं जमीन पर भाजपा की ही मदद करता है। पी.एम. मोदी भी अक्सर अपने भाषणों में मुस्लिमों को सुरक्षा का भरोसा देते हुए भाजपा को मुस्लिम हितैषी बताने की कोशिश करते रहे हैं परंतु एक भी मुस्लिम को चुनाव में न उतारना कहीं न कहीं मुस्लिमों को जरूर अखरेगा।
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