उत्तर प्रदेश विधानसभा ने UPCOCA विधेयक पेश, विपक्ष ने किया बहिर्गमन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Dec, 2017 02:39 PM

उत्तर प्रदेश विधानसभा ने समूचे विपक्ष की गैर मौजूदगी में आज उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण (यूपीकोका) विधेयक 2017 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा ने समूचे विपक्ष की गैर मौजूदगी में आज उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण (यूपीकोका) विधेयक 2017 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। विपक्ष ने इस विधेयक को ‘काला कानून’ बताते हुए सदन से बहिर्गमन किया। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में विधेयक पेश किया। विपक्ष ने आशंका जतायी कि इसका दुरूपयोग राजनीतिक बदले की भावना से हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के लोगों के भी खिलाफ है। विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को सदन की प्रवर समिति के विचारार्थ भेजने की मांग की। 

विपक्षी सदस्यों का कहना था कि इस तरह का दमनकारी कानून बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि भारतीय दंड संहिता :आईपीसी: और अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में पर्याप्त प्रावधान हैं। बाद में विपक्षी सदस्य विधेयक के विरोध में सदन से बहिर्गमन कर गये।  विधेयक पर चर्चा की शुरूआत योगी ने की। उन्होंने विपक्षी सदस्यों की ओर इशारा करते हुए कहा,‘‘कानून व्यवस्था पर आप सबसे अधिक बहिर्गमन करते हैं और उंगली उठाते हैं तो यूपीकोका का विरोध क्यों हो रहा है...मैं इस बात की गारंटी दे सकता हूं कि भाजपा ने कभी भी किसी कानून का दुरूपयोग नहीं किया है। हम राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से नहीं आये हैं।’’ 

योगी ने कटाक्ष किया,‘‘विपक्ष के बयानों को देख रहा हूं पर...जब सावन ही आग लगाये तो उसको कौन बचाये...कोई इसका दुरूपयोग नहीं कर सकता है। गैंगस्टर एक्ट से तुलना करेंगे तो उससे भी बेहतर ये कानून है।’’  योगी ने कहा कि यह कानून संगठित अपराध में लिप्त लोगों की कमर तोडकर रख देगा।‘‘कमर ना टूटे...अगर आप उसका बचाव कर रहे हैं तो अफसोसजनक है।’’

उन्होंने कहा कि राजनीतिक मुकदमों को लेकर हम एक और विधेयक लाने जा रहे हैं। हम 20 हजार राजनीतिक मुकदमों को समाप्त करने जा रहे हैं।  योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में हर नागरिक को सुरक्षा प्रदान करना, अपराध मुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त, अन्याय—अत्याचार मुक्त, भयमुक्त वातावरण बनाना किसी भी लोक कल्याणकारी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। 

उन्होंने कहा कि उसी को ध्यान में रखकर पिछले नौ महीनों के दौरान हमारी सरकार ने प्रदेश के अंदर इस प्रकार का वातावरण बनाने का हरसंभव प्रयास किया। हमें काफी हद तक सफलता भी मिली। प्रशासन और पुलिस के टूटे मनोबल को बहाल करने, आम जन के मन में शासन प्रशासन के प्रति विश्वास का माहौल पैदा हो, इस पर बहुत सारे प्रयास पिछले नौ महीनों के दौरान किये गये।

योगी ने कहा कि सबके बावजूद यह महसूस हुआ कि प्रदेश में सक्रिय संगठित अपराध के खिलाफ मौजदा कानून के अलावा और भी प्रावधान की आवश्यकता है क्योंकि किसी भी सभ्य समाज में हर व्यक्ति को जीने का पूरा अधिकार है। हर बहन बेटी को इज्जत और सम्मान के सा​थ जीने का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश को दंगों, अराजकता, गुंडागर्दी, माफिया राज से उबारने के लिए ऐसा कानून होना अत्यंत आवश्यक है। 

नेता प्रतिपक्ष राम गोविन्द चौधरी ने कहा कि यह प्रदेश, प्रदेश की जनता के लिए और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारों के लिए भी ‘काला कानून’ है। ये अघोषित आपातकाल लाने वाला कानून साबित होगा। बसपा के लालजी वर्मा एवं सुखदेव राजभर, सपा के आजम खां और कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू ने कहा कि यह विधेयक नेताओं, समाजसेवियों, किसानों और पत्रकारों के दमन के लिए लाया गया है। 

निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने मांग की कि विधेयक पर गुप्त मतदान कराया जाना चाहिए और सभी पाॢटयों के नेताओं को बुलाकर इस पर चर्चा होनी चाहिए। विधेयक विधान परिषद में कल आने की उम्मीद है, जहां सत्ताधारी पार्टी का बहुमत नहीं है। 

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