यू.पी. के दिग्गजों की असल परीक्षा अब

Edited By ,Updated: 25 Feb, 2017 12:20 PM

up now the real test of veterans

4 चरणों के मतदान के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव दिलचस्प मोड़ पर हैं। अगले 3 चरणों में राज्य के जिन 141 सीटों के लिए चुनाव होने हैं, उनमें से 60 फीसदी पर सपा काबिज है।

लखनऊ: 4 चरणों के मतदान के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव दिलचस्प मोड़ पर हैं। अगले 3 चरणों में राज्य के जिन 141 सीटों के लिए चुनाव होने हैं, उनमें से 60 फीसदी पर सपा काबिज है। मुस्लिम और यादव के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग की बाकी जातियों के साथ गठजोड़ कर 2012 में सपा ने इन इलाकों में जबरदस्त प्रदर्शन किया था। बसपा ने भी इन इलाकों में अपनी ठीक-ठाक मौजूदगी बना रखी है लेकिन दलित और अति पिछड़े वर्ग के गठजोड़ में पड़ चुकी दरार बसपा के लिए बड़ी चुनौती दिख रही है... 

यू.पी. में 5वें चरण का मतदान 27 फरवरी को जिन जिलों में होना है, उसमें अमेठी और सुल्तानपुर भी हैं। अमेठी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र है और सुल्तानपुर से भाजपा के सांसद वरुण गांधी हैं, जो इन दिनों पार्टी से नाराज हैं। वहीं गोरखपुर जिले की भी 9 सीटों पर इसी चरण में मतदान होने हैं, जो भाजपा के फायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ का गढ़ माना जाता है। छठे चरण का मतदान जिन जिलों में होना है, उनमें आजमगढ़ है, जो सपा के लिए ठीक वैसे ही माना जाता है, जैसे मुलायम सिंह यादव का गृह क्षेत्र एटा-इटावा। सपा प्रमुख और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को आजमगढ़ का किला संभालने की बड़ी जिम्मेदारी है। 

छठे चरण में वाराणसी में मतदान होगा, जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद हैं। मऊ भी इसी चरण में शामिल है, जहां के बाहुबली मुख्तार अंसारी सपा के लिए चुनौती बने हुए हैं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र का संसदीय क्षेत्र देवरिया, केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा का संसदीय क्षेत्र गाजीपुर और केंद्रीय मंत्री महेंद्रनाथ पांडेय का संसदीय क्षेत्र चंदौली भी इसी चरण में शामिल है। वहीं सातवें चरण में मिर्जापुर, भदोही, सोनभद्र की सीटों के लिए मतदान होना है। यह इलाका भाजपा के कद्दावर नेता और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है। राजनाथ सिंह मिर्जापुर सीट से जीतकर यू.पी. विधानसभा में जाते रहे हैं।

पूर्वांचल की इन सीटों पर यादव और अतिपिछड़ों का बोलबाला है। मुस्लिम, दलित भी कई सीटों पर अपना वर्चस्व बनाए हुए हैं। कई जिलों में सवर्ण जातियों का भी ठीक-ठाक प्रभाव है। देश में संगठित अपराध की जननी रहे इस क्षेत्र में आज भी बाहुबलियों का सिक्का चलता है। जौनपुर में धनजंय सिंह, मऊ में अंसारी बंधुओं के अलावा गोरखपुर-बस्ती में अमरमणि त्रिपाठी, हरिशंकर तिवारी और वाराणसी में बृजेश सिंह जैसे बाहुबली अपने दम पर चुनाव परिणाम बदलने का दमखम रखते हैं। इस इलाके की अतिपिछड़े वर्ग की जातियां इस बार भाजपा के पाले में दिख रही हैं, जिसके चलते सपा-बसपा के सामने बड़ी चुनौती है। कांग्रेस ने भी पूर्वांचल में काफी मेहनत की है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी किसान यात्रा इसी इलाके से शुरू की थी और सोनिया गांधी ने भी वाराणसी में रोड शो किया था। 
 

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