Edited By ,Updated: 02 Dec, 2016 04:33 PM
उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले कुंजबिहारी का नाम हैंडी क्राफ्ट में नैशनल अवार्ड के लिए सिलेक्ट हुआ है। कुंजबिहारी को यह अवार्ड ढाई लाख रुपए से गोल्ड और सिल्वर का रिक्शा बनाने के लिए दिया जा रहा है।
वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले कुंजबिहारी का नाम हैंडी क्राफ्ट में नैशनल अवार्ड के लिए सिलैक्ट हुआ है। कुंजबिहारी को यह अवार्ड अढ़ाई लाख रुपए से गोल्ड और सिल्वर का रिक्शा बनाने के लिए दिया जा रहा है। 9 दिसंबर को राष्ट्रपति भवन में प्रणव मुखर्जी देश के 20 कलाकारों को उनके बेहतरीन आर्ट के लिए अवार्ड देंगे। 16 अक्तूबर 2016 को वाराणसी में सांस्कृतिक संकुल में आर्ट गैलरी लगाई गई थी।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी यहां पहुंची और कुंजबिहारी के बनाए रिक्शे को देखकर हैरान रह गईं। इस दौरान कुंजबिहारी ने स्मृति ईरानी को एक कड़ा गिफ्ट करना चाहा जो कि चांदी का बना हुआ था और उसकी कीमत करीब 16 हजार थी। स्मृति ने गिफ्ट लेने से मना कर दिया और मुस्कुराते हुए कहा कि मैं गिफ्ट नहीं लूंगी, अगली बार पैसे लेकर लाऊंगी तो जरूर लूंगी। बता दें कि इससे पहले कुंजबिहारी ने मोदी के वाराणसी दौरे के दौरान उन्हें गुलाबी मीनाकारी से बनाए गए रिक्शे के मॉडल को स्मृति चिह्न (मोमेंटो) के तौर पर पीएम को भेंट दिया था। रिक्शे का मॉडल उसने कई महीनों के अथक परिश्रम से बनाया था।
ये है रिक्शे की खासियत
-रिक्शा 4 महीने में बनकर तैयार हुआ है जिसका वजन 1 किलो 20 ग्राम है। यह 1100 ग्राम सिल्वर और 4 ग्राम गोल्ड और अन्य कुछ मेटल से मिलकर बना है।
- रिक्शे का पैडल, सीट हूबहू बड़े रिक्शे की तरह है। हवा चलने पर पीछे का पर्दा हिलता नजर आएगा।
- इसकी लंबाई 2 फीट, चौड़ाई 10 इंच और ऊंचाई 1 फिट है।
- चंदन के ऑयल में स्वर्ण भस्म मिलाकर कलर तैयार किया गया है।
- 1200 डिग्री तापमान पर अलग-अलग सांचों को पकाया गया।
- हर पार्ट को अलग-अलग बनाया गया, बाद में सभी को असेम्बल किया गया।
- 400 साल पहले मुगलकाल में ये कला विकसित हुई थी।