BHU से छुट्टी की बात पर भड़के त्रिपाठी, बोले-जबरदस्ती की तो दे दूंगा इस्तीफा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Sep, 2017 09:09 AM

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बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने गुरुवार को कहा कि....

नई दिल्ली\वाराणसी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने गुरुवार को कहा कि अगर उन्हें छुट्टी पर जाने के लिए कहा गया तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने बताया कि 'मानव संसाधन विकास मंत्रालय से ऐसा कोई आदेश नहीं मिला है। त्रिपाठी ने कहा कि मैं घटना के दिन से मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के संपर्क में हूं और उनको स्थिति से अवगत कराया है।

जानकारी के अनुसार विवादों से लगातार घिरे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बी.एच.यू.) के कुलपति गिरीश चन्द्र त्रिपाठी की छुट्टी होना तय है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय उनके सारे अधिकारों को पहले ही सीज कर चुका है, इसके बाद से वैसे भी विश्वविद्यालय में उनकी ज्यादा भूमिका नहीं बची है। इस बीच मंत्रालय ने तेजी के साथ नए कुलपति के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

इसके तहत विश्वविद्यालय को अगले एक महीने के भीतर यानि अक्तूबर अंत तक नया कुलपति मिल जाएगा। इसके लिए अगले 1-2 दिन में नोटीफिकेशन भी जारी हो जाएगा। फिलहाल इसका पूरा ड्राफ्ट तैयार हो गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की इस तेजी से साफ है, कि बी.एच.यू. के कुलपति की कुर्सी पर अब वह मौजूदा कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी को और ज्यादा रखने के मूड में नहीं है। यही वजह है कि मंत्रालय ने नए कुलपति के चयन की प्रक्रिया को आनन-फानन में शुरू करने के साथ एक समय सीमा भी तय की है। जिसे नोटीफिकेशन जारी होने के एक महीने के भीतर पूरा करना है।

मंत्रालय ने बी.एच.यू. के नए कुलपति की चयन प्रक्रिया के तहत राष्ट्रपति को भी एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें 3 सदस्यीय चयन कमेटी के गठन की मंजूरी मांगी गई है। साथ ही कमेटी के लिए नाम मांगे गए हैं। माना जा रहा है कि राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ही नए कुलपति के चयन का काम औपचारिक रूप से शुरू होगा। हालांकि सूत्रों की मानें तो यह एक प्रक्रिया है। बी.एच.यू. का अगला कुलपति कौन बनेगा, इसका फैसला तो शीर्ष स्तर पर मंथन के बाद तय होगा।

खासबात यह है कि बी.एच.यू. के मौजूदा कुलपति गिरीश चन्द्र त्रिपाठी का कार्यकाल 26 नवम्बर 2017 को खत्म हो रहा है। ऐसे में नए कुलपति का चयन तो होना ही था, लेकिन इन विवादों के बाद इसमें तेजी आई है। माना जा रहा है कि बगैर अधिकारों के कुलपति के बने रहने से विश्वविद्यालय का काम-काज प्रभावित होगा। कोई बड़े फैसले नहीं हो सकेंगे।

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