कुदरत का करिश्मा: चलती ट्रेन के शौचालय से गिरा नवजात नहीं आई खरोंच

Edited By ,Updated: 28 Feb, 2017 06:56 PM

the toilet did not fall from the moving train newborn scratch

‘जाको राखे साईंया मार सके न कोई’ की कहावत एक बार फिर सच साबित हुई है। दरअसल कानपुर-लखनऊ के बीच चलती ट्रेन के शौचालय में एक गर्भवती महिला ने बच्चे को जन्म दिया।

कानपुर: ‘जाको राखे साईंया मार सके न कोई’ की कहावत एक बार फिर सच साबित हुई है। दरअसल कानपुर-लखनऊ के बीच चलती ट्रेन के शौचालय में एक गर्भवती महिला ने बच्चे को जन्म दिया। नवजात शिशु शौचालय के रास्ते पटरियों पर गिर गया। जिसे एक चरवाहा दंपति ने उठा लिया। दंपति ने नवजात को ईलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया है। जहां उसकी हालात नाजुक बनी हुई है। 

यह कहानी एक नवजात शिशु, धरती और आसमान के भगवानों की है। कानपुर के जिला अस्पताल में एक नवजात शिशु को गोद में लेकर पहुंचा चरवाहा दम्पत्ति भगवान का भेजा हुआ दूत है। आज सवेरे लगभग साढ़े नौ बजे जब वो उन्नाव रेलवे स्टेशन के निकट बकरियां चरा रहा था, उसे लखनऊ कानपुर रेलवे ट्रैक पर एक नवजात शिशु पड़ा दिखायी दिया। शिशु की नाल नहीं कटी थी और इससे पता चलता था कि सम्भवत चलती ट्रेन में शौच क्रिया से निवृत्त हो रही किसी गर्भवती महिला को अचानक प्रसव हुआ और उसका बच्चा शौचालय के ‘मल मार्ग’ से नीचे गिर गया। इसे ईश्वर का चमत्कार कहिए या विधि का विधान, नवजात शिशु पूरी तरह सुरक्षित रहा।

चरवाहा दम्पत्ति लाला और रूही बच्चे को लेकर पुलिस के पास पहुंची और फिर इलाज के लिये कानपुर के जिला महिला अस्पताल ले आई। अब यहां शुरू हुआ धरती के भगवानों का खेल। आसमान के भगवान ने तो बच्चे की जान बक्श दी लेकिन धरती के भगवानों ने उसका ईलाज करने से मना कर दिया। भगवान के भेजे दूतों को कभी दूसरे अस्पताल जाने और कभी एक के बाद एक पर्चा भरने की सलाह दी जाती रही। कई घण्टे तक भूखे प्यासे बच्चे को लेकर लाला और रूही भटकते रहे। आखिर में अस्पताल मेें मौजूद दूसरे तीमारदारों ने बच्चे के लिये दूध की व्यवस्था की।

मीडिया के दखल के बाद आखिर में जिला अस्पताल में नवजात शिशु को भर्ती किया गया लेकिन ईलाज में देरी के कारण उसकी हालत और बिगड़ चुकी थी। चलती ट्रेन से गिरे मासूम को काफी चोटें आयी हुई हैं और उसकी हालात नाजुक बनी हुई है। 

डॉ. की लापरवाही आई सामने 
स्वर्ग से सब कुछ देख रहा भगवान बच्चे को जीवनदान देने के लिये एक चरवाहा दम्पत्ति को भेज देता है और वे बच्चे को लेकर अस्पताल आते हैं। लेकिन धरती के भगवानों का दिल नहीं पसीजता और वे बच्चे का घण्टों इलाज नहीं करते। लेकिन कहते हैं न ‘जाको राखे साईंया मार सके न कोई।’ जब बच्चा ट्रेन से गिर कर नहीं मरा तो किसी और के मारे कैसे मरता। मामले में मीडिया के दखल के बाद अब बच्चा सकुशल है।


 

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