सपा-लालू पर संकट के बादल, विपक्ष के एकजुट होने के सपने को झटका

Edited By ,Updated: 09 May, 2017 09:59 AM

sp lalu hits back at the crisis  the opposition to united opposition

इस सप्ताह बिहार में राजद व उत्तर प्रदेश में सपा कुनबे में घटित ताबड़तोड़ अपशकुनी घटनाक्रमों ने विपक्षी एकता की गोलबंदी को गहरा झटका दिया है।

नई दिल्ली\लखनऊ: इस सप्ताह बिहार में राजद व उत्तर प्रदेश में सपा कुनबे में घटित ताबड़तोड़ अपशकुनी घटनाक्रमों ने विपक्षी एकता की गोलबंदी को गहरा झटका दिया है। बिहार में लालू प्रसाद व जेल में बंद गैंगस्टर मोहम्मद शहाबुद्दीन के बीच फोन पर बातचीत का भांडा फूटने व सुप्रीम कोर्ट द्वारा चारा घोटाले में लालू प्रसाद के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमा चलाने के फरमान से बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में चल रही आरजेडी, जेडीयू व कांग्रेस की साझा सरकार की नीवें हिल गई हैं।

जानकारी मुताबिक दूसरी ओर हाल के चुनावों में हार के बाद मुलायम परिवार में हो रहे ताजा सर फुटव्वल ने विपक्षी एकता की कोशिशों की फिजा को खराब कर दिया है। एकता के प्रयासों की कोशिशों में जुटे विपक्ष के एक नेता ने स्वीकार किया है कि राजनीति में इस तरह के उतार चढ़ाव का आना सामान्य बात है लेकिन हमें जरूर निराशा हुई है कि पिछले एक सप्ताह के घटनाक्रमों ने विगत कुछ सप्ताह से विपक्षी एकता का माहौल बनाने की कोशिशों पर निश्चित ही विराम लगा दिया है।

ज्ञात रहे कि यूपी में 80 व बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। इन दोनों ही बड़े प्रदेशों से भाजपा को मिली भारी बढ़त ने ही केंद्र में  मोदी सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाई। इन दोनों ही प्रदेशों में आने वाले दो साल बाद होने वाले चुनाव में भाजपा की ताकत को कमजोर नहीं किया गया तो भाजपा को सत्ता से दूर रखने की बिखरे विपक्ष की कोशिशें खटाई में पड़ जाएंगी।

राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में कांग्रेस  समेत सभी विपक्षी पार्टियों के दिग्गज आागामी 3 जून को चेन्नई में डीएमके नेता एम करुणानिधि के जन्म दिवस पर बड़ा जमावड़ा करने में जुटे हैं लेकिन माना जा रहा है कि अंतर्विरोधों के सामने आने से इस व्यापक विपक्षी एकता का मिशन भंवर में फंस सकता है। बता दें कि संसद में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस भी ऐसी कोशिशों में जुटी थी कि राष्ट्रपति चुनावों के बहाने कश्मीर से लेकर केरल तक भाजपा विरोधी पार्टियां कुछ मुद्दों को लेकर एक मंच पर साथ दिखाई दें।

कांग्रेस की कोशिशें ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस व माकपा जैसी धुर विरोधी पार्टियों को भाजपा विरोधी राष्ट्रीय अभियान में एक साथ लाने की थी लेकिन दोनों के बीच स्थानीय स्तर पर अंदरूनी विवादों की झड़ी इस कदर हावी है कि अभी कारगर सुलह की उम्मीदें धूमिल होती दिख रही हैं। इधर, दिल्ली में 2 करोड़ रिश्वत लेने के आरोपों से घिरे अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की मांग को लेकर कांग्रेस दो फाड़ है।

राहुल गांधी ने केजरीवाल पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया है कि सच की आदत है बाहर आ ही जाता है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं का ख्याल था कि केजरीवाल पर हो रहे भाजपा के हमलों में कांग्रेस को शामिल नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे गैरभाजपा खेमे में राष्ट्रपति चुनावों को लेकर बेवजह मनमुटाव होगा लेकिन सूत्रों का कहना है कि दिल्ली कांग्रेस के प्रमुख अजय माकन मानते हैं कि तीन साल पहले केंद्र व दिल्ली से कांग्रेस की सरकार का पत्ता साफ कराने में केजरीवाल एंड कंपनी के आंदोलन ने ही कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया इसलिए केजरीवाल को सत्ता से हटाने को कांग्रेस पूरा जोर लगाना जारी रखेगी।

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