Edited By ,Updated: 14 Nov, 2016 01:20 PM
मोदी सरकार द्वारा 500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद देश में कालेधन रखने वालों के साथ अपराध करने वाले लोगों के भी हाथ पांव फूले दिख रहे हैं। कालाधन रखने वाले बड़े ...
वाराणसी: मोदी सरकार द्वारा 500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद देश में कालेधन रखने वालों के साथ अपराध करने वाले लोगों के भी हाथ पांव फूले दिख रहे हैं। कालाधन रखने वाले बड़े लोगों ने नोटों को तो बाहर निकाला लेकिन इसके साथ किडनैपर्स भी कोई कांड करने से कतरा रहे हैं। जी हां, मामला यूपी के वाराणसी के रिटायर्ड प्रिंसिपल मंगला प्रसाद मिश्रा का पोता और दवा व्यापारी देवेंद्र मिश्रा के बेटे संकल्प से जुड़ा है। जिसे कुछ किडनैपर्स उठाकर ले गए और जब उन्हें पता चला कि 500-1000 के नोट बंद हो गए तो उन्होंने बच्चे को छोड़ दिया। उनका बेटा 9वीं कक्षा का छात्र है।
बिना पैसे लिए बच्चे को किया रिहा
सूचना के अनुसार, 8 नवंबर की शाम व्यापारी देवेंद्र मिश्रा का बेटा साइकिल से अपने दोस्त के घर जा रहा था। तभी रास्ते में एक गाड़ी में सवार कुछ लोगों ने पता पूछने के बहाने संकल्प को पास बुलाया। जैसे ही संकल्प गाड़ी के पास पहुंचा, उसे किडनैप कर लिया गया। लेकिन बाद में 500 और 1000 रुपए की नोटबंदी से परेशान होकर किडनैपर्स ने फिरौती लिए बिना ही एक लड़के को छोड़ दिया। किडनैपर्स बीते रविवार सुबह 14 साल के संकल्प को फतेहपुर जिले के बाईपास पर छोड़कर भाग गए।
परिवार वालों ने पीएम का किया शुक्रिया
संकल्प के पिता देवेंद्र मिश्रा ने कहा, 'मेरा बेटा सकुशल वापस आ गया। इसके लिए भगवान के साथ-साथ पीएम नरेंद्र मोदी को धन्यवाद। उन्होंने कहा, 'नरेंद्र मोदी की कालेधन को रोकने की इस योजना का पहला लाभार्थी मैं हूं।' उन्होंने कहा कि 500 और 1000 रुपए के नोट बंद होने से किडनैपर्स परेशान हो गए, इसलिए बेटे की रिहाई हुई। वहीं बेटे संकल्प का कहना है कि वह किडनैपर्स को देखकर पहचान सकता है।
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