शिया बोर्ड ने दोहरायी सती प्रथा की तरह तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने की मांग

Edited By ,Updated: 17 Apr, 2017 08:23 PM

shia board demanded to make laws against three divorces like sati practice

आल इण्डिया शिया पर्सनल ला बोर्ड ने आज सती प्रथा उन्मूलन के लिये बनाये गये अधिनियम की तर्ज पर तीन तलाक के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग दोहरायी।

लखनऊ: आल इण्डिया शिया पर्सनल ला बोर्ड ने आज सती प्रथा उन्मूलन के लिये बनाये गये अधिनियम की तर्ज पर तीन तलाक के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग दोहरायी। बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने टेलीफोन पर बताया कि आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने शरई वजह के बगैर अपनी बीवी को तलाक देने वालों के सामाजिक बहिष्कार की अपील की है, मगर सिर्फ इतना काफी नहीं है। इससे पीड़ित महिला के साथ इंसाफ नहीं हो सकेगा। 

उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि सती प्रथा रोकने के लिये बनाये गये कानून की तरह ‘तीन तलाक’ पर रोक के लिये सख्त कानून बनाया जाना चाहिये, ताकि मासूम जिंदगियां बचायी जा सकें। हालांकि, अब्बाज ने तीन तलाक के मुद्दे की तुलना द्रौपदी के चीरहरण से करने की मुयमंत्री योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी को गलत बताते हुए कहा कि इन दोनों मामलों का एक-दूसरे से कोई लेना-देना नहीं है।

मालूम हो कि आल इण्डिया शिया पर्सनल ला बोर्ड ने गत पांच अप्रैल को अपनी कार्यकारिणी की बैठक में पारित प्रस्ताव में भी सरकार से तीन तलाक खत्म करने की मांग करते हुए कहा था कि जिस तरह सती प्रथा के खात्मे के लिये कानून बना था, उसी तरह तीन तलाक का रिवाज बंद होना चाहिये।  देश में सती प्रथा जैसी बुराई को खत्म करने के लिये वर्ष 1987 में सती (निरोधक) कानून बनाया गया था। हालांकि बंगाल सती रेगुलेशन 1829 के तहत पहली बार सती प्रथा के खिलाफ व्यवस्था की गयी थी। 

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