Edited By ,Updated: 24 May, 2017 04:26 PM
अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ध्वस्त करने के मामले में शिवसेना नेता और पूर्व सांसद सतीश प्रधान ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में आज आत्मसमर्पण कर दिया।
लखनऊ: अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ध्वस्त करने के मामले में शिवसेना नेता और पूर्व सांसद सतीश प्रधान ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में आज आत्मसमर्पण कर दिया।
प्रधान के अलावा अदालत में पेश होने वालों में पूर्व विधायक पवन पाण्डेय और संतोष दुबे भी शामिल थे। श्री प्रधान के खिलाफ अदालत में आरोप फ्रेम होना था, लेकिन किन्हीं कारणों से इस पर आज बहस नहीं हो सकी जबकि श्री पाण्डेय और दुबे के खिलाफ आरोप पहले से ही फ्रेम है। प्रधान ने अदालत में पेश होने के बाद कहा कि वह निर्दोष हैं। उन्हें गलत ढंग से आरोपी बनाया जा रहा है। अदालत ने तीनों को 20-20 हजार रुपये के निजी मुचलके पर छोड़ दिया।
दुबे ने अदालत से बाहर निकलने पर कहा कि भगवान राम और उनका मंदिर करोड़ो लोगों की आस्था से जुड़ा सवाल है। वह चाहते हैं कि मंदिर निर्माण हो लेकिन खूनखराबे के बगैर। उन्होंने एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘विवादित ढांचा ध्वस्त करने में वह थे या नहीं इसका जवाब अदालत में दिया जायेगा। सीबीआई को जो करना है वह कर रही है, लेकिन देश की न्यायपालिका पर उनका पूरा भरोसा है। उन्होंने खुलकर यह नहीं कहा कि छह दिसंबर 1992 को वह ढांचा ध्वस्त होने के समय वहां मौजूद थे या नहीं।’
सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश सुरेश कुमार यादव के समक्ष मामले से जुडे पांच आरोपियों श्री राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास, पूर्व सांसद डॉ0 रामविलास दास वेदान्ती, धर्मदास, बैकुण्ठ लाल शर्मा और चंपत राय ने गत शनिवार को आत्मसमर्पण किया था। अदालत ने शाम को ही उन्हें 20-20 हजार रुपये के निजी मुचलके की जमानत पर रिहा कर दिया था। मामले से जुड़े वकीलों के मुताबिक रायबरेली की विशेष अदालत में जिन सात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा था, उन समेत सभी 28 लोगों के अदालत में पेश होने के बाद सीबीआई भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत आरोप पत्र दाखिल करेगी।
रायबरेली की विशेष अदालत में नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा चल रहा था। जिसमें अशोक सिंहल और आचार्य गिरिराज किशोर की मृत्यु हो चुकी है जबकि कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल बना दिये गये हैं। हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने रायबरेली में चल रहे मुकदमे को भी लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत में स्थानान्तरित करते हुए दो साल के अन्दर फैसला सुनाने का आदेश दिया था। रायबरेली की विशेष अदालत में भाजपा नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, डॉ0 मुरली मनोहर जोशी, केन्द्रीय मंत्री उमा भारती, भाजपा सांसद विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा और विष्णुहरि डालमिया के खिलाफ सुनवाई चल रही थी।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के खिलाफ भी रायबरेली में मुकदमा चल रहा था लेकिन न्यायालय ने उन्हें राज्यपाल होने के नाते फिलहाल मुकदमा नहीं चलाने की छूट देकर राहत दी है। ढांचा ध्वस्त होने के बाद रामजन्म भूमि थाने के तत्कालीन अध्यक्ष प्रियम्बदा शुक्ला ने अपराध संख्या 197/92 और तत्कालीन रामजन्म भूमि चौकी प्रभारी ने 198/92 पर मुकदमे दर्ज कराये थे। 197/92 में आडवाणी समेत भाजपा और विश्व हिन्दू परिषद के नौ लोगों को नामजद किया गया था, जबकि 198/92 अपराध संख्या में हजारों अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।
अयोध्या के रामजन्म भूमि थाने में अपराध संख्या 198/92 के तहत दर्ज कराये गये मुकदमें की सुनवाई लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत में चल रही है जिसमें 195 लोगों की गवाही हो चुकी है। अपराध संख्या 197/92 में अभी भी सैंकड़ो लोगों की गवाही बाकी है। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153, 153ए, 505, 147, 149 और 120बी के तहत मामल दर्ज हैंं।