सहारनपुर के जरिए उत्तर प्रदेश में खोई जमीन पाने के प्रयास में विपक्षी दल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 May, 2017 04:23 PM

saharanpur effort to get lost land in uttar pradesh opposition parties

बेहतर कानून व्यवस्था के संकल्प के साथ उत्तर प्रदेश में सत्ता संभालने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहारनपुर में एक के बाद एक ङ्क्षहसा की तीन वारदातों से किरकिरी हुयी हैं वहीं राज्य विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त झेलने वाले विपक्षी दल ...

लखनऊ: बेहतर कानून व्यवस्था के संकल्प के साथ उत्तर प्रदेश में सत्ता संभालने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहारनपुर में एक के बाद एक हिंसा की तीन वारदातों से किरकिरी हुयी हैं वहीं राज्य विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त झेलने वाले विपक्षी दल जातीय संघर्ष के बाद बदले हालात में अपना जनाधार बढ़ाने की जुगत में हैं। 

सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव और उसके आसपास 15 दिन के अंदर तीन बार हुए जातीय संघर्ष की वजह से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की किरकिरी हुई लेकिन मुख्य योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ से राज्य के गृहसचिव मणिप्रसाद मिश्र तथा अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) आदित्य मिश्रा के साथ पुलिस के दो और वरिष्ठ अधिकारियों को भेजकर ‘डैमेज कन्ट्रोल’ की कोशिश की। पांच मई को दलितों और राजपूतों के बीच हुये संघर्ष में राजपूृत युवक की मृत्यु हुई थी। इसके बाद नौ मई को एक बार फिर ङ्क्षहसा भड़क उठी थी।

इस बीच दलितों और राजपूतों में हुए संघर्ष को लेकर तनाव कम ही हो रहा था कि 23 मई को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती शब्बीरपुर पहुंच गयीं। उनके जाने के बाद ङ्क्षहसा एक बार और भड़क उठी और एक दलित युवक की तलवार और तमंचों से हत्या कर दी गयी।  

एक के बाद एक हिंसा की वारदातों पर अंकुश लगाने के लिये प्रशासन ने शब्बीरपुर में किसी भी नेता के जाने पर रोक लगा दी। कल इसी वजह से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी शब्बीरपुर नहीं जा पाये। उन्हें हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा पर रोक दिया गया। वहीं एक ढाबे पर बैठकर उन्होंने चौपाल लगायी। उन्होंने प्रशासन से पूछा कि आखिर उन्हें पीड़ितों से मिलने से क्यों रोका गया। प्रशासन मुस्तैद था और उसने राहुल गांधी की दलीलें खारिज कर दी। 
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इसी बीच, कांग्रेस उपाध्यक्ष ने एक दलित बच्चे को गोद में बिठा लिया। समाचार चैनलों पर वह फोटो खूब दिखायी गयी। राहुल गांधी के पहले हालांकि उनकी पार्टी के पी एल पुनिया और कुमारी शैलजा पीडितों से मुलाकात कर आयीं थीं। मायावती के दौरे से झटका खाये जिला प्रशासन ने पूर्व मुयमंत्री अखिलेश यादव को भी सहारनपुर जाने की अनुमति नहीं दी। सहारनपुर के जातीय संघर्ष से दलितों के नेता के रुप में एक और नाम चन्द्रशेखर और उसका संगठन‘भीम आर्मी’सुर्खियों में आया। वोट बैंक में सेंध लगने के डर से मायावती ने बार बार कहा कि चन्द्रशेखर और उसके संगठन से बसपा का कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने चन्द्रशेखर के पीछे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का हाथ बताया। 

दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महासचिव विजय बहादुर पाठक ने कहा सरकार जनता की भावनाओं और अपेक्षाओं के अनुरूप काम कर रही है, लेकिन विपक्षी दल झगड़े में भी वोट खोज रहे हैं। पाठक ने कहा कि विपक्षी दल के लोगों को सतही राजनीति की सोच और नकारात्मकता छोड़कर सकारात्मक राजनीति करने का स्वभाव डालना होगा क्यों कि जनता ने जाति-पांति की राजनीति को नकार दिया है।
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उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष है उन्हें एक गांव के दो परिवार के झगड़े को जातीय राजनीति का सतही अवसर के रूप में नहीं देखना चाहिए। उनका कहना था कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में मुंह की खाये विपक्ष को लगता है कि किसी तरह नगरीय निकाय चुनाव में इज्जत बच जाये ताकि 2019 में इसी के सहारे चुनाव वैतरणी पार कर लेने की कोशिश की जाये, लेकिन जनता सजग है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति उसके विश्वास में लगातार बढोत्तरी हो रही है। जनता अब परफार्मेन्स करने वालों को समर्थन दे रही है ,इसलिये विपक्ष को सकारात्मक राजनीति करनी चाहिये। 

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