Edited By ,Updated: 15 Apr, 2017 02:44 PM
बसपा सुप्रीमो मायावती ने 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के मौके पर ऐलान किया था कि वह भाजपा विरोधी दलों से गठबंधन के लिए तैयार हैं। उनके इस बयान के अगले ही दिन सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी महागठबंधन की ओर इशारा किया।
लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के मौके पर ऐलान किया था कि वह भाजपा विरोधी दलों से गठबंधन के लिए तैयार हैं। उनके इस बयान के अगले ही दिन सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी महागठबंधन की ओर इशारा किया।
अखिलेश यादव ने आज कहा कि गैर भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) दलों के किसी भी महागठबंधन में शामिल होने के लिए सपा तैयार हैं। पार्टी की सदस्यता अभियान की शुरूआत करने के अवसर पर अखिलेश यादव ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि आने वाले समय में भाजपा के खिलाफ जो भी गठबंधन बनेगा सपा उसमें पूरी भूमिका निभायेगी, क्योंकि लोकसभा के अगले चुनाव की मुख्य लड़ाई उत्तर प्रदेश से ही होगी। इस राज्य में लोकसभा की सर्वाधिक 80 सीटें हैं।
नीतिश, शरद पवार और ममता बनर्जी से मुलाकात की बात स्वीकारी
उन्होंने स्वीकार किया कि हाल ही में अपने दिल्ली दौरे के दौरान उनहोंने राष्ट्रवादी कांग्रेस के शरद पवार, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार और बंगाल की मुख्यमंत्री तथा तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी से मुलाकात की थी।
BJP पर लगाया जनता को धोखा देने का आरोप
अखिलेश ने भाजपा पर उत्तर प्रदेश में ‘जनता को धोखा’ देकर सरकार बनाने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘जनता को कहीं ना कहीं लगा है कि उसे धोखा देकर (भाजपा की आेर से) सरकार बनाने का काम किया गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पूरा का पूरा चुनाव धर्म और जाति के आधार पर लोगों के बीच नफरत फैलाकर लड़ा गया। धर्म और जाति के आधार पर जनता को लाभ देने की बात कहकर जनता से धोखे में वोट लिया गया।’’
EVM पर भरोसा नहीं
इस दौरान अखिलेश यादव ने आज कहा कि ईवीएम पर भरोसा नहीं किया जा सकता इसलिए वह चुनाव आयोग से ‘बैलट’ से ही चुनाव कराने की मांग करते हैं। अखिलेश ने यहां संवाददाताआें से कहा, ‘‘ईवीएम (इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन) कब खराब हो जाए। सॉफ्टवेयर कब धोखा दे जाए ... मशीन पर कोई भरोसा नहीं कर सकता। हमें ईवीएम पर भरोसा नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें सौ प्रतिशत भरोसा अपने बैलट पर है। हमारी मांग है कि चुनाव बैलट से हो ...हम नहीं कहते कि ईवीएम अच्छी है या खराब।’’
BJP की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
मायावती और अखिलेश के साथ आने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि इन दोनों नेताओं के पास दलित, मुसलमान और अल्पसंख्यक का पारंपरिक वोट बैंक है। अगर इन तीनों वोट वेस दोनों पार्टियों के साथ जुड़ जाते हैं तो भाजपा के आगामी चुनाव में राह आसान नहीं होगी।