अयोध्या मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ये दी गई दलीलें

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Dec, 2017 07:13 PM

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अयोध्या मामले में अब अगली सुनवाई आठ फरवरी 2018 को होगी। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा गिराए जाने की 25वीं वर्षगांठ से एक दिन पहले यानी मंगलवार 5 दिसंबर 2017 को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद पर...

लखनऊ: अयोध्या मामले में अब अगली सुनवाई आठ फरवरी 2018 को होगी। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा गिराए जाने की 25वीं वर्षगांठ से एक दिन पहले यानी मंगलवार 5 दिसंबर 2017 को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद पर अंतिम सुनवाई हुई।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की तीन सदस्यीय विशेष पीठ चार दीवानी मुकदमों में इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई कर रही है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को इस विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और भगवान राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था।

इस बीच, उत्तर प्रदेश के सेन्ट्रल शिया वक्फ बोर्ड ने इस विवाद के समाधान की पेशकश करते हुए न्यायालय से कहा था कि अयोध्या में विवादित स्थल से उचित दूरी पर मुस्लिम बहुल्य इलाके में मस्जिद का निर्माण किया जा सकता है। अखिल भारतीय सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अनूप जार्ज चौधरी, राजीव धवन और सुशील जैन कर रहे हैं। वहीं भगवान राम लला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरण और सी एस वैद्यनाथन और अधिवक्ता सौरभ शमशेरी पेश हुए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में दलीलें दी।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के मुख्य अंश:-
-इस मामले की अगली सुनवाई अब 8 फरवरी 2018 को होगी।
-कपिल सिब्बल और राजीव धवन के अलावा अन्य याचिकाकर्ताओं ने कम से कम 7 जजों की बेंच द्वारा इस मामले पर सुनवाई करने की अपील की है।
-शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने दावा किया है सुप्रीम कोर्ट ने उनके प्रस्तावित फॉम्र्युले को ऑन रिकॉर्ड कर लिया है। याचिकाकर्ता उन प्रासंगिक दस्तावेजों के अनुवाद के लिए सुप्रीम कोर्ट से समय मांग रहे हैं, जिन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के सामने फाइल किया गया था।
-कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलील दी कि जब भी इस मामले की सुनवाई होती है तो कोर्ट के बाहर गंभीर प्रतिक्रियाएं आती हैं। इसलिए कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने के लिए वह खुद कोर्ट से गुजारिश करते हैं कि सभी याचिकाएं पूरी होने के बाद 15 जुलाई 2019 से इस मामले की सुनवाई शुरू किया जाए।
-उत्तर प्रदेश के वकील तुषार मेहता ने कपिल सिब्बल के सभी कथनों को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सभी संबंधित दस्तावेज और अपेक्षित अनुवाद की प्रतियां पहले ही जमा करा दिया गया है जो रिकॉर्ड में हैं।
-सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने अडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अभियुक्तों पर संदेह जताया। उन्होंने कहा कि 19000 पेजों के दस्तावेज इतने कम समय में फाइल कैसे हो गए। सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्हें और अन्य याचिकाकर्ताओं को याचिका के प्रासंगिक दस्तावेज नहीं दिए गए हैं।

हिंदू संगठनों ने दी है दलील- 
- श्रीरामलला विराजमान और हिंदू महासभा आदि ने दलील दी है कि हाई कोर्ट ने भी रामलला विराजमान को संपत्ति का मालिक बताया है।
- वहां पर हिंदू मंदिर था और उसे तोड़कर विवादित ढांचा बनाया गया था। ऐसे में हाई कोर्ट एक तिहाई जमीन मुसलमानों को नहीं दे सकता है।
- यहां न जाने कब से हिंदू पूजा-अर्चना करते चले आ रहे हैं, तो फिर हाई कोर्ट उस जमीन का बंटवारा कैसे कर सकता है?

मुस्लिम संगठनों ने दी है दलील
- सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अन्य मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि बाबर के आदेश पर मीर बाकी ने अयोध्या में 528 में 1500 वर्गगज जमीन पर मस्जिद बनवाई थी।
- इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता है। मस्जिद वक्फ की संपत्ति है और मुसलमान वहां नमाज पढ़ते रहे।
- 22 और 23 दिसंबर 1949 की रात हिंदुओं ने केंद्रीय गुंबद के नीचे मूर्तियां रख दीं और मुसलमानों को वहां से बेदखल कर दिया।

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