निठारी कांड: सीबीआई कोर्ट ने सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को दोषी करार दिया

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jul, 2017 03:46 PM

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नोएडा के बहुचर्चित निठारी सीरीज ऑफ केसेस के 8 वें मामले में गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को दोषी करार दिया है।

नोएडा(आकाश गर्ग): नोएडा के बहुचर्चित निठारी सीरीज ऑफ केसेस के 8 वें मामले में गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को दोषी करार दिया है। सीबीआई के विशेष जज पवन तिवारी की कोर्ट में सुरेंद्र कोली के खिलाफ सीबीआई कोर्ट ने चार्जशीट दाखिल की थी। इस मामले में तत्कालीन जज रमा जैन ने सीआरपीसी की धारा 319 के तहत सह-आरोपी बनाया गया था।

इस मामले में 2014 के बाद से अब तक 55 तारीखों पर सीबीआई की तरफ से 46 गवाह पेश किए गए थे जबकि मोनिंदर सिंह पंढेर ने 1 गवाह पेश किया था। कोर्ट ने सभी दलीलों को सुनने के बाद आज सुरेंद्र कोली को अपहरण, हत्या, सबूत मिटाने और हत्या के बाद रेप की कोशिश का दोषी पाया है। जबकि मोनिंदर सिंह पंढेर को हत्या और सबूत मिटाने का दोषी पाया है। इस मामले में अगली सुनवाई 24 जुलाई को 11 बजे होगी जिसमें सजा पर सुनवाई होगी।

क्या था मामला?
बता दें कि 31 दिसंबर 2006 को पति से बताकर आनंदा देवी लोगों के घरों में झाडू-पोछा का काम करने के लिए गई थी। घर से जाते समय आनंदा ने पति से बताया कि वह काम से वापस लोटते समय सुरेंद्र कोली के घर से होकर आएगी। लेकिन उसके बाद नंदा देवी घर वापस नहीं लौटी। वह रहस्यमयी तरीके से गायब हो गई उसका कहीं पता नहीं चला।

29 दिसंबर 2006: सुरेंद्र कोली को सिविल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में कई चौंकाने वाला खुलासा हुआ। घर के पास नाले में कई मानव नर कंकाल और खोपडिय़ां बरामद हुईं। उन मामलों में से नंदा देवी के भी कपड़े बरामद हुए जिसे उसके पति ने पहचाना। इन मामलों के बाद सुरेंद्र कोली के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। फिर इस मामले की जांच विशेष अदालत सीबीआई ने की। सीबीआई विचारण के बाद कोर्ट में करीब 50 गवाहों को कोली के खिलाफ पेश किया जबकि कोली की तरफ से मात्र एक गवाह को पेश किया गया था। लेकिन कोली के गुण दोष को देखते हुए कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई है।

टल चुकी है फांसी की सजा
इससे पहले साल 2014 में ही सुरेंद्र कोली को निठारी कांड में दोषी करार दिया गया था और उसे फांसी की सजा दी गई थी। उस वक्त कोली को मेरठ जेल में 12 सितंबर 2014 को फांसी दी जानी थी, लेकिन देश की शीर्ष अदालत ने उसकी फांसी पर रोक लगा दी थी।

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