Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jun, 2017 02:47 PM
उत्तर प्रदेश में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्डो को भंग किये जाने और केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या किसी अन्य एजेन्सी से जांच कराये जाने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों का मुस्लिम धर्मगुरुओं ने स्वागत किया है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्डो को भंग किये जाने और केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या किसी अन्य एजेन्सी से जांच कराये जाने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों का मुस्लिम धर्मगुरुओं ने स्वागत किया है। हालांकि,योगी आदित्य नाथ सरकार ने शिया वक्फ बोर्ड के 10 में से छह सदस्यों को हटाकर इस प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है। इन सदस्यों को अखिलेश यादव सरकार में कद्दावर मंत्री रहे मो0 आजम खां ने नामित करवाया था।
सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार बोर्ड के अध्यक्ष बर्खास्त करने के लिए कानून विदों से राय ले रही है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने शिया वक्फ बोर्ड के जिन सदस्यों को हटाया है उनमें राज्यसभा के पूर्व सदस्य अख्तर हुसेन रिजवी,सैयद वली हैदर,आशफा जैदी,सईद अजीम हुसैन जैदी,आजमा जैदी और नजमुल हसन रिजवी शामिल है। इन लोगों को 2015 में नामित किया गया था। इस बीच ,शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने आरोप लगाया है कि योगी सरकार बदले की भावना से काम कर रही है। वक्फ राज्यमंत्री मोहसिन रजा पर वक्फ बोर्ड संपत्तियों पर हेराफेरी करने के आरोप हैं। रजा पर उन्नाव में वक्फ संपत्तियों में गड़बड़ी करने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज है।
रिजवी ने कहा कि सरकार ने यदि बोर्ड को भंग करने की कोशिश की तो वह इसके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटायेंगे। उधर, दोनों बोर्डो को भंग करने और वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग की जांच सीबीआई से कराने की पहल का स्वागत करते हुए मुस्लिम धर्मगुरुओं ने राज्य सरकार से कहा है कि जांच जल्दी करवाकर दोषियों को कडी से कड़ी सजा दिलवायी जाय। उनका कहना था कि वक्फ संपत्तियों में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है। भ्रष्टाचार कर अरबों रुपये का घोटाला किया गया है।
सहारनपुर के शहर काजी मौलाना नदीम अहमद ने यहां तक कहा कि धर्म की बात करने वालों ने भी वक्फ संपत्तियों में अरबों रुपये की हेरफेर की । राज्य सरकार का जांच कराने का निर्णय सराहनीय है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग गिरोह बनाकर वक्फ संपत्तियों को हडप रहे हैं । वक्फ बोर्ड हर पांचवे साल भंग कर नये सदस्य बनाये जाने चाहिए। सीबीआई से जांच होने पर दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा। सपा और बसपा सरकारों ने वक्फ बोर्ड में अपने खास लोगों को सदस्य बनवाकर सपत्तियों का काफी नुकसान करवाया। कौम को कोई फायदा नहीं पहुंचा।
मौलाना जव्वाद ने कल शाम वक्फ संपत्तियों के विवाद को लेकर राज्यपाल रामनाईक से मुलाकात की । उन्होंने शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष श्री रिजवी और पूर्व मंत्री मो0आजम खां द्वारा की गयी गडबडियों की जानकारी श्री नाईक को दी। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सूत्रों ने बताया कि मो0आजम खां की दखलंदाजी की वजह से दोनों बोर्डो में वित्तीय अनियमिततायें हुई हैं, लेकिन जांच के पहले इस बारे में विस्तृत रुप से कहना या बताना मुश्किल होगा।
सीबीआई जांच होने पर ही मामला साफ होगा। केन्द्र सरकार की सेन्ट्रल वक्फ काउंसिल ने भी दोनों बोर्डो में जांच की आवश्यकता बतायी है। काउंसिल ने इस सबंध में गत अप्रैल में सरकार को रिपोर्ट भी सौंपी थी। रिपोर्ट के मुताबिक दोनों बोर्डो में तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता जताई गई थी। वक्फ अधिनियम 1995 के अनुसार राज्य सरकार बोर्ड में हस्तक्षेप करने का अधिकार रखती है। काउंसिल ने मो0. आजम खां के बोर्ड संपत्तियों में कथित हेराफेरी की भी जांच की आवश्यकता जतायी थी।
सैयद एजाज अब्बास नकवी की अध्यक्षता वाली सेन्ट्रल वक्फ काउंसिल ने सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी। नकवी उत्तर प्रदेश और झारखंड वक्फ बोर्ड के प्रभारी भी हैं। उन्होंने राज्य सरकार को सौंपी रिपोर्ट में आजम खां की भूमिका पर सवाल खडे किये थे। काउंसिल ने वक्फ संपत्तियों पर श्वेतपत्र जारी करने की सलाह दी थी।
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