मायावती नए सिरे से गढ़ रहीं मुस्लिमों का मसीहा बनने को ‘इंजीनियरिंग’

Edited By ,Updated: 31 Jan, 2017 08:57 PM

mayawati renewed muslim stronghold to become the messiah engineering

ब्राह्मण मतदाताओं के बसपा से छिटकने से लोकसभा चुनाव में फेल हुई सोशल इंजीनियरिंग को मायावती नए सिरे से गढ़ रही हैं। इस बार उनकी इंजीनियरिंग का जोर मुस्लिमों का मसीहा बनने पर है, ताकि सपा से खफा मुस्लिमों को सत्ता की सीढ़ी बनाया जा सके।

लखनऊ: ब्राह्मण मतदाताओं के बसपा से छिटकने से लोकसभा चुनाव में फेल हुई सोशल इंजीनियरिंग को मायावती नए सिरे से गढ़ रही हैं। इस बार उनकी इंजीनियरिंग का जोर मुस्लिमों का मसीहा बनने पर है, ताकि सपा से खफा मुस्लिमों को सत्ता की सीढ़ी बनाया जा सके। उत्तर प्रदेश में बसपा की अब तक की चुनावी रणनीति से जो तस्वीर साफ हो रही है। उसमें मायावती का उर्दू प्रेम भी सामने आ रहा है, साथ ही मायावती मुस्लिम मतदाताओं को बसपा से जोडऩे के लिए हर तरह का जतन कर रही हैं।

97 मुस्लिम प्रत्याशियों को दिया टिकट 
यहां बता दें कि मायावती ने इस बार 97 मुस्लिम प्रत्याशियों को उत्तर प्रदेश के चुनावी रण में उतारा है। बसपा के इन प्रत्याशियों के साथ ही इनके समर्थक अब सपा को मुस्लिम विरोधी और बसपा को मुस्लिम हितैषी साबित करने की मुहिम में जुट गए हैं। इन प्रत्याशियों के समर्थक अपने-अपने क्षेत्रों में ऊर्दू और हिन्दी में छपी 16 पेज की बुकलेट का वितरण कर रहे हैं। जिसका टाइटल है कि मुस्लिम समाज का सच्चा हितैषी कौन है? फैसला आप करें!
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दलित-मुस्लिम गठजोड़ की तेज हुई मुहिम
दरअसल बसपा ने यह मुहिम दलित-मुस्लिम गठजोड़ को मजबूत बनाने के लिए शुरू की है। खास बात यह है कि इस बुकलेट में न सिर्फ बसपा द्वारा मुस्लिम समुदाय के लिए किए जाने वाले कार्यों का ब्योरा दिया गया है, बल्कि सपा को मुस्लिम विरोधी बताते हुए उन्हें गुमराह किए जाने और उनके हितों का ख्याल नहीं रखने का आरोप लगाते हुए अखिलेश सरकार पर निशाना साधा गया है। 
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पश्चिमी यूपी पर फोकस 
दलित मुस्लिम गठजोड़ को लेकर बसपा का सबसे ज्यादा फोकस पश्चिमी यूपी की सीटों पर है। दरअसल 2007 में बिजनौर की सात विधानसभा सीटें जीतने के साथ ही इस क्षेत्र में बड़ी सफलता पाई थी। इस बार भी सपा और भाजपा को चकमा देकर मुस्लिम और दलित वोटों की इंजीनियरिंग के जरिए बसपा अपनी नैया पार करने में जुटी हुई है। इसमें मेरठ, मुजफ्फर नगर, बरेली, बागपत, सहारनपुर और बिजनौर पर सबसे ज्यादा फोकस किया जा रहा है।
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सक्रिय हुईं समितियां 
मुस्लिम क्षेत्रों में बसपा की भाईचारा समितियां भी सक्रिय हो गई हैं। इनके सदस्य मुस्लिम क्षेत्रों में दलितों और मुस्लिमों को भाईचारे का पाठ पढ़ा रहे हैं। साथ ही मायावती द्वारा सबसे अधिक मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिए जाने का दावा करने के साथ ही सपा और भाजपा के खिलाफ उन्हें लामबंद करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। 

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