सार्वजनिक जीवन में काम करने वालों के लिये आदर्श है ‘गीता’: नाईक

Edited By ,Updated: 17 Dec, 2016 09:48 AM

is ideal for those working in public life   gita    naik

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा है कि सार्वजनिक जीवन में काम करने वालों के लिये गीता आदर्श ग्रंथ है। नाईक आज यहां संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे प्रेक्षागृह में चिन्मय मिशन द्वारा आयोजित ‘गीता ज्ञान यज्ञ’ का उद्घाटन किया।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा है कि सार्वजनिक जीवन में काम करने वालों के लिये गीता आदर्श ग्रंथ है। नाईक आज यहां संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे प्रेक्षागृह में चिन्मय मिशन द्वारा आयोजित ‘गीता ज्ञान यज्ञ’ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर  नाईक ने कहा कि विश्व के ग्रंथों में गीता अछ्वुत ग्रंथ है और भागवत गीता ही ऐसा ग्रंथ है जो हमें साधन और साध्य में सामंजस्य स्थापित कर जीवन के सर्वोच्च उद्देश्य को प्राप्त करने का ज्ञान देता है।उन्होंने कहा कि गीता सामान्य व्यक्ति के ज्ञानवद्र्धन का साधन होने के साथ-साथ कर्तव्य के प्रति दिशा देने वाला ग्रंथ भी है। सार्वजनिक जीवन में काम करने वालों के लिये गीता आदर्श है। गीता के एक श्लोक में कहा गया है कि सज्जन व्यक्ति के लिये अपकीर्ति से मृत्यु बेहतर है। उन्होंने कहा कि इस मर्म का समझकर व्यवहार करें तो समाज को नयी दिशा मिलेगी। 

गीता केवल विद्वानों के लिये ही नहीं 
नाईक ने कहा कि गीता केवल विद्वानों के लिये ही नहीं बल्कि मानव धर्म के मार्गदर्शन करने वाले विचारों का महामार्ग है, जो निष्काम कर्म का दर्शन है। उनके जीवन पर गीता का विशेष प्रभाव है। उन्होंने अपनी बचपन की बात करते हुये बताया कि उनके विद्यालय में सभी विद्यार्थियों को सूर्य नमस्कार करना अनिवार्य था। कक्षा में स्वामी समर्थ रामदास के श्लोक व गीता के पाठ का अर्थ सहित अध्ययन कराया जाता था, जिसका व्यक्तित्व पर प्रभाव होता था। बिना फल की आशा किये अपने कर्तव्य को करने की आदत व्यवहार में लाना मुश्किल कार्य है।

मनुष्य की सबसे बड़ी समस्या खुद की समस्या-स्वामी तेजोमयानन्द
इस अवसर पर स्वामी तेजोमयानन्द ने अपने प्रवचन में कहा कि मनुष्य की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह अपनी समस्या नहीं जानता। गीता सम्पूर्ण मानव जाति के लिये दिव्य संदेश है। समस्या जानने के लिये आत्मज्ञान होना जरूरी है। उन्होंने गीता के मर्म को समझाते हुये कहा कि गीता में कर्तव्य के प्रति समर्पण का भाव बताया गया है। कार्यक्रम में लखनऊ चिन्मय सेवा ट्रस्ट की अध्यक्षा ऊषा गोविन्द प्रसाद ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा आचार्य ब्रह्मचारी कौशिक चैतन्य ने धन्यवाद ज्ञापित किया।  राज्यपाल ने कार्यक्रम में‘चिन्मय वन्दना’नामक स्तुति पुस्तिका का लोकार्पण किया तथा आरती में भी भाग लिया।  

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