डिजिटल इंडिया युग में आज भी बदस्तूर जारी है मैला ढोने की कुप्रथा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Mar, 2018 04:01 PM

in the digital india era still continues to be bad

-भारत को आजाद हुए 70 बीत जाने के बाद भी समाज में कुछ एेसी कुप्रथाएं चल रही हैं जिसको देख कर आप हैरान रह जाएंगे और कहने पर मजबूर भी हो जाएंगे कि डिजिटल इण्डिया में आज भी यह होता है।

फर्रुखाबाद(दिलीप कटियार)-भारत को आजाद हुए 70 साल बीत जाने के बाद भी समाज में मैला ढाेने की कुप्रथाएं चल रही हैं जिसको देखकर आप हैरान रह जाएंगे और कहने पर मजबूर भी हो जाएंगे कि डिजिटल इण्डिया में आज भी यह होता है।

मामला फर्रुखाबाद जनपद के नगर पंचायत शमसाबाद का है। जहां आज भी महिलाएं मैला ढोने वाली कुप्रथा को बदस्तूर कर रही हैं। कस्बे में एक दाे नहीं तक़रीबन आधा दर्जन से अधिक महिलाएं इसे चला रही हैं। महिलाएं कस्बे में बने पुराने शौचालय को साफ़ करने के लिए घर-घर जाती हैं और मैला एकत्रित कर कस्बे से दूर फेंकती हैं। 
PunjabKesariवहीं कस्बे में एक महिला द्वारा मैला ढोने की तस्वीरें कैमरे में कैद हाे गई। जब उनसे इसका कारण पूछा गया ताे महिला ने प्रशासन के डर से पहले ताे कुछ भी बाेलने से इनकार कर दिया लेकिन बाद में दबी जुबान से कहा कि जब कोई काम नहीं मिल रहा है तो मैला ढोने के काम को कर रहे हैं। इस काम से कुछ पैसा भी मिल जाता है और घरों से खाने के लिए रोटी भी।

महिलाओं और समाज के इस तबके की हालात देखकर पता चलता है कि जिले में स्वच्छता मिशन किस ओर जा रहा है। केंद सरकार और यूपी सरकार का स्वच्छ भारत  मिशन केवल कागजों में ही सिमट कर रह गया है।
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महीने में मिलता है 20-25 रुपया: कुंती 
मैला ढोने वाली महिला कुंती ने बताया कि इस काम को मैं 10-11 साल से कर रही हूं। काम के बदले हमें एक घर से हर महीने 20-25 रुपये मिलते हैं। वहीं दूसरी महिला सुनीता ने बताया कि इस काम को हम बहुत दिनों से कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस काम और भी बहुत सी महिलाएं कर रही हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि इस काम के लिए महीने में 20, 30 रुपये एक घर से मिल जाते हैं। अगर सरकार हमें अन्य नौकरी देती है तो हम इसे छोड़ देंगे। 
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जिले की महिला जिलाधिकारी ने भी नहीं लिया संज्ञान 
सबसे खास बात ताे ये है कि इस जिले की जिलाधिकारी आैर मुख्या बिकास अधिकारी भी महिलाएं हैं। इन महिला अधिकारियाें ने भी इस कुप्रथा पर राेक नहीं लगाई जाे इनके खुद के लिए एक शर्म की बात है। 

मैला उठाने से महिलाओं को बड़ा खतराः cmo 
जब इस कुप्रथा पर cmo यूके पांडेय से बात की गई ताे उन्हाेंने कहा कि मैला उठाने से महिलाओं को बड़ा खतरा है। महिलाएं अनेकों बीमारियों से ग्रसित हो जाती हैं और इस प्रथा से बिमारी एक ब्यक्ति से होकर दूसराें में फैलने लगती है। 

महिला अधिकारियाें ने बात करने से किया इनकार 
बहीं जब इस मामले पर जिले की सीडीओ अपुर्बा दुबे और जिला अधिकारी मोनिका रानी से बात की गई ताे उन्हाेंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से साफ़ इनकार कर दिया। 


 

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