KDA की अरबों रूपये की जमीन पर अवैध कब्जे, आवंटी अपने भूखंड के लिये काट रहे है चक्कर

Edited By ,Updated: 19 May, 2017 03:30 PM

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अरबों रूपये की जमीन को भू-माफियों के चंगुल से मुक्त कराने के लिये कानपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को अब तक भले ही आशातीत सफलता न मिल सकी हो मगर अपने प्लाट अथवा भूखंड पर कब्जा पाने के लिये कई वैध आवंटियों को अक्सर विभाग की सीढियां चढ़ते उतरते...

कानपुर: अरबों रूपये की जमीन को भू-माफियों के चंगुल से मुक्त कराने के लिये कानपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को अब तक भले ही आशातीत सफलता न मिल सकी हो मगर अपने प्लाट अथवा भूखंड पर कब्जा पाने के लिये कई वैध आवंटियों को अक्सर विभाग की सीढियां चढ़ते उतरते देखा जा सकता है।

भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टालरेंस’ की नीति पर अमल करने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कल यहां कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) के हाइटेक सभागार में औद्योगिक नगरी में विकास योजनाओं की समीक्षा करेंगे। योगी का हेलीकाप्टर चंद्रशेखर कृषि विश्वविद्यालय स्थित हेलीपैड में उतरेगा और उनका काफिला वहां से महज चार किमी दूर केडीए जायेगा। मुख्यमंत्री के काफिले के गुजरने वाले रास्ते और चौराहों को चमकाया जा चुका है। प्रशासनिक अमला पिछले एक हते से मुयमंत्री की आवभगत की तैयारियों में रात दिन एक किये हुये है।  हालांकि बाकी शहर में बेतरतीब यातायात, गड्डा युक्त सड़के, बजबजाती नालियां और सडक पार्को में अवैध कब्जों की भरमार औद्योगिक नगरी की असल तस्वीर बयां करती है।

सूत्रों के अनुसार केडीए की करीब 500 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कजे हैं जिसकी कीमत करीब एक हजार करोड रूपये है। दबौली, रतनलालनगर, श्यामनगर,चकेरी, सनिगवां, बिनगवां, नौबस्ता, जाजमऊ, कल्याणपुर, पनकी और जरौली समेत दक्षिणी कानपुर में केडीए की जमीन पर अवैध कजो की भरमार है। भू-माफियों की दबंगई का आलम यह है कि भूखंडों पर कब्जे के बाद अराजक तत्वों ने इन पर निर्माण भी करा लिया है और बिजली पानी का भी इंतजाम कर रखा है।

उधर, केडीए प्रशासन की उदासीनता और लापरवाही के चलते कई आवंटी कब्जे के लिये विभाग के चक्कर काटते दिखायी पडते हैं। ऐसे कई मामले केडीए के विभागों में आपसी तालमेल की कमी को दर्शाते है जिसका खामियाजा वैध उपभोक्ताओं को उठाना पडता है। अपने भूखंड पर कब्जे के लिये जद्दोजहद कर रहे प्रशांत पांडे ने कहा कि जरौली क्षेत्र में उन्हे केडीए ने एक भूखंड आवंटित किया था जिसकी रजिस्ट्री भी पिछले साल अक्टूबर में हो चुकी है। 

केडीए अधिकारियों ने कहा था कि कब्जे के लिये उन्हे सूचित किया जायेगा मगर इस बीच उन्हे पता चला कि उपरोक्त भूखंड पर कब्जा किसी और को दे दिया गया है। पांडे ने केडीए जाकर अधिकारियों को भूखंड की रजिस्ट्री दिखायी और भूखंड पर दावा पुख्ता करने के अन्य साक्ष्य दिये। उन्होंने कहा कि पिछले सात महीने से अपना ही भूखंड पाने के लिये वह प्राधिकरण के दफ्तर के चक्कर काट रहे है मगर अधिकारी जांच कराने का भरोसा देकर उन्हे टरका देते हैं। अपर सचिव प्रदीप सिंह ने इस बाबत कहा कि मामला इंजीनियरिंग विभाग और विपणन विभाग का है। दोनो विभागों को मामले के शीघ्र निस्तारण करने को कहा गया है।

राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कडे रूख से कई सरकारी विभागों की तरह केडीए की कार्यप्रणाली में उल्लेखनीय बदलाव दिख रहा है, मगर अवैध कब्जेदारों से अपनी जमीन को मुक्त कराने की दिशा में अब तक कोई ठोस प्रयास देखने को नहीं मिला है।

सूत्रों ने बताया कि एक रिपोर्ट के अनुसार केडीए की लगभग एक हजार हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जे है। इनमें से कई मामले न्यायालय में लंबित हैं। सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों को लेकर शासन, प्रशासन के अफसरों के सख्त रवैए से केडीए के अधिकारी सांसत में है। प्राधिकरण की फाइलों को खंगालने पर 502 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जे पाए गए। इसमें सबसे अधिक 336 हेक्टेयर जमीन जोन चार की है। पिछले महीने उत्तर प्रदेश सरकार ने नोयडा, लखनऊ और कानपुर समेत सूबे के सभी विकास प्राधिकरणों की सीएजी जांच कराने का फैसला किया था। योगी मंत्रिमंडल की एक बैठक में सभी प्राधिकरणों के ऑडिट के प्रस्तावों को हरी झंडी दी गई जिसमें प्राधिकरणों में 10 करोड़ रुपये लागत से अधिक के कामों की जांच होगी।  

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