हर्षवंती बिष्ट का दावा, प्रकृति नहीं अपने कारण गंवाया स्कीइंग प्वाइंट का महत्व

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Jan, 2018 06:03 PM

harshwanti bisht says reason for auli is pollution not environment

एवरेस्ट विजेता और पर्यावरण पर काम करने वाली हर्षवंती बिष्ट ने कहा है कि औली क्षेत्र में स्कीइंग के लायक बर्फ ने होने की वजह प्रकृति नहीं बल्कि पर्यावरण के प्रति हमारी उदासीनता है।

देहरादून/ब्यूरो। एवरेस्ट विजेता और पर्यावरण पर काम करने वाली हर्षवंती बिष्ट ने कहा है कि औली क्षेत्र में स्कीइंग के लायक बर्फ ने होने की वजह प्रकृति नहीं बल्कि पर्यावरण के प्रति हमारी उदासीनता है। पेड़ों का निरंतर कटना, मानवीय बस्तियों का निंरतर बढ़ना और वाहनों का बढ़ने जैसी स्थतियों के चलते तापमान बढ़ा है।

 

इससे जिन औली क्षेत्र में इस दौरान अच्छी खासी बर्फ रहती थी वहां कम बरफ के चलते स्कीइंग प्वाइंट होने का महत्व खो दिया। अगर ओली स्कीइंग प्वाइंट से देश दुनिया के खिलाडियों को विंटर ओलंपिक में भाग लेने का मौका मिलता तो यह स्थान अंतराष्ट्रीय खेल के नक्शे में आता और औली दुनिया भर में जाना जाता। इस समय दुनिया में 300 स्थान ऐसे हैं जहां से खिलाड़ियों को क्वालिफाई करने का मौका मिलता है। ओली में स्लोपिंग न हो पाने की वजह से उत्तराखंड यह अवसर चूक गया। 

 

हर्षवंती बिष्ट ने कहा कि जिस तरह ग्लेशियर क्षेत्र सिमटता जा रहा है और तापमान में परिर्वतन आ रहा है उससे चिंता बढ़ी है। प्रकृति में कई तरह के बदलाव देखे जा रहे हैं। कई स्थान जो अपनी गर्म आबोहवा के लिए जाने जाते हैं वहां र्बफ गिरी है और ऐसे स्थान जो लबालब बरफ से ढके रहते थे वहां बमुश्किल बरफ देखी जा रही है।  यह प्रकृति का असंतुलन कई कारणों से है। जहां ग्लोबल वार्मिंग का असर दिखता ह। लेकिन  प्रकृति के प्रति हमारी उपेक्षा के चलते भी मौसम जलवायु पर तेजी से फ र्क पड़ा है।  

 

प्रकृति का अपना एक मिजाज होता है एक ढर्रा होता है। उससे थोड़ी भी छेडख़ानी नहीं की जानी चाहिए। लेकिन हमने बहुत आजादी ली है। पेड़ काटे  बस्तियां बसाई जंगलों में आग लगाई और वाहनों का धुआं इन इलाकों तक पहुंचा।  प्रकृति का जो विनाश हमने किया है उसका खामियाजा कई तरह से भुगत रहे हैं। 

 

इको टास्क के विजय प्रताप का कहना है कि ओली का स्कीइंग प्वाइंट न हो पाना तो खेलप्रेमियों और कुछ लोगों को मायूस कर सकता है। साथ ही इससे यह भी मायूसी हो सकती है कि उत्तराखंड खेल के एक बड़े अवसर से वंचित रह गया । लेकिन इससे बड़ी दिक्कत तो जीवन की है। जिस तरह के हालात बन रहे हैं,  स्कीइंग के लिए स्लोपिंग न हो पाने से इसे समझा जा सकता है। 

 

स्कीइंग विंटर ओलंपिक फरवरी में होना है। इसमें तीन सौ जगहों से खिलाडिय़ों को इसके लिए क्वालिफाई करना था। इसमें औली को भी स्कीइंग प्वाइंट बनाया गया था। अगर यहां मुकाबले होते तो देश दुनिया भर के खिलाड़ी आते। उत्तराखंड की इस खेल के जरिए देश दुनिया में पहचान बनती। इसमें दुनिया भर से 34 खिलाडिय़ों को उत्तराखंड आना था। इससे उत्तराखंड के पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता और यहां के युवा खिलाडिय़ों को स्कीइंग सीखने के लिए मिलता।

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