Edited By ,Updated: 20 Jan, 2017 08:50 PM
समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से किनारा कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नजदीकी बनाने वाले नेताओं को विधानसभा चुनाव में मायूसी हाथ लगी है।
बुलंदशहर: समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से किनारा कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नजदीकी बनाने वाले नेताओं को विधानसभा चुनाव में मायूसी हाथ लगी है। टिकट न मिलने से खफा ये नेता अन्य दलों में उम्मीदें तलाशने में जुट गये हैं। पिछले साल राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का खुला समर्थन करने के कारण विधायक भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित और मुकेश शर्मा को समाजवादी पार्टी (सपा) से निष्कासित कर दिया गया था।
सपा से किनारा होने के बाद दोनों भाई खुलकर भाजपा के समर्थन में आ गये थे। इसके बावजूद भाजपा ने विधानसभा चुनाव में दोनों को टिकट नहीं दिया। भाजपा से टिकट नहीं मिलने से खफा दोनों भाईयों ने बाकायदा एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) में शामिल होने की हसरत बयां कर दी। भावुक होकर भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित और उनके छोटे भाई मुकेश शर्मा ने कहा था कि वह रालोद में शामिल होकर जिले की क्रमश: अनूपशहर और शिकरपुर विधानसभा सीटों से चुनाव लडेंग़े।
यही हाल बसपा के निकले दिग्गज नेता स्वामी प्रसाद मौर्या का है। 70 सीटों के लालच में भाजपा में शामिल तो हो गए लेकिन अब उन्हें सीटें मिलती नहीं दिखाई दे रही हैं। बीजेपी द्वारा जारी की गई पहली लिस्ट में मौर्य ने अपने जिन उम्मीदवारों के नाम सुझाए थे उनमें से किसी भी नेता को टिकट नहीं मिला है। मौर्य ने कहा है कि वह बीजेपी के दूसरी लिस्ट का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद ही वह कोई फैसला लेंगे। साफ है कि अगर मौर्य के चेहतों को बीजेपी टिकट नहीं देती है तो वह इससे नाराज होंगे। यहां तक कि वह पार्टी के खिलाफ बगावत भी कर सकते हैं।
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