Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Dec, 2017 05:46 PM
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर नगरीय निकाय चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुये समाजवादी पार्टी (सपा) ने आज कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर नगरीय निकाय चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुये समाजवादी पार्टी (सपा) ने आज कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद निर्वाचन आयोग ने इस चुनाव में वीवी पैड के इस्तेमाल की जरूरत नहीं समझी।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उत्तम पटेल ने यहां पत्रकारों से कहा कि नगरीय निकाय चुनाव को अपने पक्ष में करने के लिये भाजपा ने हर हथकंडा अपनाया। सरकारी मशीनरी का जमकर दुरूपयोग किया। उधर निर्वाचन आयोग ने भी निष्पक्ष मतदान के बारे में उच्चतम न्यायालय के आदेश को ताक में रखकर वीवी पैड लगाने के बजाय पुराने तरीके से मतदान कराया।
पटेल ने कहा कि जीत का ढिंढ़ाेरा पीट रही भाजपा को अच्छी तरह पता है कि इस चुनाव में मतदाताओं के बीच उसका प्रभाव काफी कम हुआ है। सिर्फ नगर निगम के महापौर पद में जीत ही सब कुछ नहीं होती। नगर निकाय में भाजपा ने कुल 654 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किये जिसमें उसे 470 में हार का मुंह देखना पड़ा। भाजपा के 11994 पार्षदों और सभासद के उम्मीदवारों में से 9812 को करारी हार मिली।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को दो नगर निगमों में मिली जीत के बारे में पटेल ने कहा कि बसपा की जीत प्रायोजित थी। अगर सारी सीटें भाजपा जीत जाती तो जनता के बीच उसकी कलई खुलने का डर था। इसलिये जानबूझ कर दो सीटे बसपा को दी गयी। भाजपा की लोकप्रियता के घटते ग्राफ को पुख्ता करने के लिये उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुये कहा कि वर्ष 2014 में हुये लोकसभा चुनाव में प्रदेश में भाजपा को 71 सीटों पर विजय मिली थी और भाजपा की जीत का प्रतिशत 88.71 था। तीन साल बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 312 सीटें जीती मगर उमीदवारों की जीत का प्रतिशत घटकर 77.41 रह गया। नगरीय निकाय में भाजपा की हालत और पतली हुयी और इस चुनाव में उसके उम्मीदवारों के जीत का प्रतिशत मात्र 27.71 है।