Edited By ,Updated: 29 Mar, 2017 08:28 PM
मुख्यमंत्री बनने के एक हफ्ते बाद बुधवार को योगी आदित्यनाथ ने पूजा पाठ के बाद मुख्यमंत्री आवास में गृह प्रवेश किया। उनका यह सरकारी आवास राजधानी लखनऊ के 5 कालीदास मार्ग पर स्थिति है। इसके साथ ही योगी कैबिनेट में शामिल मंत्रियों को भी सरकारी बंगले...
लखनऊ: मुख्यमंत्री बनने के एक हफ्ते बाद बुधवार को योगी आदित्यनाथ ने पूजा पाठ के बाद मुख्यमंत्री आवास में गृह प्रवेश किया। उनका यह सरकारी आवास राजधानी लखनऊ के 5 कालीदास मार्ग पर स्थिति है। इसके साथ ही योगी कैबिनेट में शामिल मंत्रियों को भी सरकारी बंगले आवंटित कर दिए गए।
वहीं बंगला नंबर-6 अंधविश्वास की वजह से अभी भी खाली है। ये किसी को अलॉट नहीं किया गया है। बता दें कि राजनीतिक गलियारों में इस बंगले को अपशकुनी माना जाता है। माना जा रहा था कि योगी सरकार में इस भ्रम को तोड़ा जाएगा, लेकिन अब उम्मीद कम हो गई है। आइए एक नजर डालते हैं इस बंगले से जुड़े अपशकुन के बारे में जो कई नेताओं का कॅरियर कर चुका है खराब...
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष जावेद अब्दी को अखिलेश ने किया बर्खास्त
इस बंगले से जुड़े अपशकुन का मामला तब चर्चा में आया था, जब भ्रष्टाचार के मामले में तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्यमंत्री और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष जावेद अब्दी को पद से बर्खास्त कर दिया था। जावेद आब्दी सीएम के करीबी माने जाते रहे हैं और उन्हें बंगला भी सीएम आवास के बगल वाला 6 कालीदास मार्ग आवंटित हुआ था, लेकिन उनकी बर्खास्तगी के बाद सियासी गलियारों में यह चर्चा आम हो गयी थी कि यह बंगला ही अपशकुनी हो गया है। इस बंगले में रहने वालों का राजनीतिक कॅरियर किसी न किसी वजह से डूब जाता है।
अमर सिंह का राजनीतिक कॅरियर हुआ चौपट
मुलायम सिंह सरकार में सपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमर सिंह भी कालीदास मार्ग पर 6 में रहते थे, लेकिन समय के साथ-साथ उनका राजनीतिक कॅरियर भी मझधार में चला गया। मुलायम सिंह से ऐसी ठनी कि उन्हें सपा छोडऩी पड़ी। बहरहाल, एक बार फिर अमर सिंह मुलायामवादी होने के बाद भी सपा से बाहर चल रहे हैं।
बाबू सिंह कुशवाहा को मिली जेल
-बसपा सरकार में कभी मायावती के करीबी माने जाने वाले बाबू सिंह के आवास-6 पर उनसे मिलने वालों की लम्बी लाइन लगा करती थी।
-लोग उनसे मिलने के लिए सुबह 6 बजे से ही इकठ्ठा हुआ करते थे। दरअसल, माया सरकार में बाबू सिंह कुशवाहा सबसे ताकतवर मंत्री माने जाते थे।
-उनके पास कई विभाग थे। ऐसे में लोगों की लम्बी लाइन उनसे मिलने के लिए लगती थी।
-सुबह 8 बजे से कुशवाहा सबसे मिलना शुरू करते थे तो यह क्रम 10 बजे तक चलता था, लेकिन समय ने पलटा खाया कि बाबू सिंह कुशवाहा सीएमओ मर्डर केस के साथ-साथ एनआरएचएम घोटाले में फंसे। फिर लैकफेड घोटाले में भी उनका नाम आया।
-इसके बाद मायावती ने भी उनसे किनारा कर लिया। जब से बाबू सिंह कुशवाहा इस घर से निकले, तब से अब तक न तो वह जेल से बाहर आए और न ही राजनीति में वापस आए।
वकार अहमद शाह की तबियत अचानक हुई खराब
-2012 में सत्ता परिवर्तन हुआ और 5 कालिदास पर सीएम अखिलेश का बसेरा बना। ऐसे में 6 नंबर बंगला कोई मंत्री लेने को तैयार न हुआ तो फिर तत्कालीन श्रम मंत्री वकार अहमद शाह ने इस बंगले में रहने का रिस्क उठाया।
-एक आध साल उन्होंने इस बंगले में गुजारा। इसके बाद अचानक से उनकी तबियत खराब हो गई, जो आज तक वह बिस्तर से नहीं उठे। उनका इलाज लगातार चल रहा है।
-इस घटना के बाद परिजनों ने यह बंगला खाली कर दिया।
राजेंद्र चौधरी ने लेने से मना कर दिया था यह बंगला
-वकार अहमद शाह द्वारा इस बंगले को छोडऩे के बाद कई मंत्रियों को यह बंगला अलॉट हुआ, लेकिन वकार साहब की हालत देखकर मंत्रियों का इस बंगले के अपशकुन पर भरोसा बढ़ गया।
-कई मंत्रियों के मना करने के बाद सीएम के खास सपा प्रवक्ता और तत्कालीन जेल मंत्री राजेंद्र चौधरी को यह बंगला अलॉट किया गया, लेकिन बंगले में आने के कुछ दिनों बाद ही उनका विभाग बदल दिया गया और उन्हें राजनीतिक पेंशन जैसा विभाग दे दिया गया था।
-ऐसे में समय रहते उन्होंने भी इस बंगले में रहने से मना कर दिया।
अपशकुन का शिकार हो गए जावेद आब्दी
-इसके बाद जावेद आब्दी का नंबर आया। दरअसल, जावेद आब्दी तत्कालीन सीएम के खास माने जाते रहे हैं।
-लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने काफी काम किया था जिससे खुश होकर सीएम ने उन्हें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का चेयरमैन बनाया था।
-यही नहीं, जब सीएम ने 36 राज्यमंत्रियों को बर्खास्त किया था तब भी यह राज्यमंत्री बने हुए थे।
-रजत जयंती समारोह में शिवपाल ने जावेद आब्दी को मंच से धक्का दिया था, जिसके बाद वह अखिलेश के और करीबियों में शुमार हो गए थे।