Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Mar, 2018 05:19 PM
शुक्रवार को यानी चौथे दिन विधानसभा सत्र के शांतिपूर्ण संचालन के बाद यह लगने लगा था कि इस बार गैरसैंण में आयोजित ऐतिहासिक सत्र वास्तव में इतिहास बनाने की ओर अग्रसर है। पर, ऐसा नहीं हुआ। पांचवें दिन शनिवार को किसानों की आत्महत्या का मामला नेता...
गैरसैण: शुक्रवार को यानी चौथे दिन विधानसभा सत्र के शांतिपूर्ण संचालन के बाद यह लगने लगा था कि इस बार गैरसैंण में आयोजित ऐतिहासिक सत्र वास्तव में इतिहास बनाने की ओर अग्रसर है। पर, ऐसा नहीं हुआ। पांचवें दिन शनिवार को किसानों की आत्महत्या का मामला नेता प्रतिपक्ष ने उठाया तो हंगामा खड़ा हो गया और अंतत: कांग्रेस और भाजपा के दो विधायक आपस में भिड़ गये। काफी मुश्किल से उन्हें शांत किया गया। हालांकि, इसके बावजूद सदन की कार्यवाही तीन बजे तक के स्थगित करनी पड़ी। इस बीच, स्पीकर ने सदन में हुई नोकझोंक और धक्कामुक्की की घटना को सदन की कार्यवाही से हटाने के निर्देश दे दिए।
शनिवार को संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्देशानुसार सतत विकास का लक्ष्य प्राप्त करने के निमित्त दोपहर बाद सदन में बहस प्रस्तावित थी। इस कारण प्रश्नकाल नहीं रखा गया था। सुबह सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो बजट प्रस्तावों पर चर्चा शुरू हुई। बजट पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने किसानों की आत्महत्या का मामला उठा दिया। आरटीआई से मिली जानकारी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष में आठ किसानों ने आत्महत्या की है। इसमें खटीमा में एक किसान को मुआवजा भी दिया गया है। सरकार को किसानों की आत्महत्या रोकनी चाहिए।
यदि वह किसानों का कर्ज माफ नहीं कर सकती है, तो कम से कम बैंक को इस बात के लिए तैयार करे कि किसानों से ऋण वसूली में नरमी बरती जाए। नेता प्रतिपक्ष के बयान का ट्रेजरी बेंच यानी सरकार की ओर से शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने विरोध किया। उन्होंने एक भी किसान के आत्महत्या नहीं करने का दावा किया और पीठ से अनुरोध किया कि नेता प्रतिपक्ष के बयान को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जाए। सरकार की ओर से आये इस बयान पर विपक्ष नाराज हो गया और वेल में आकर हंगामा करने लगा।
हंगामा शुरू होने के बाद भाजपा के कुछ विधायक भी वेल में आ गये और कांग्रेस की ओर से किये जा रहे हंगामे के विरोध करन लगे। इसी बीच काग्रेस विधायक और सदन में उप नेता प्रतिपक्ष करन माहरा और भाजपा विधायक राजकुमार ठकराल आमने सामने हो गये। दोनों विधायकों में धक्का-मुक्की भी हो गयी। धक्का-मुक्की होते ही सदन में अजीबो गरीब स्थिति पैदा हो गयी। अप्रिय घटना को रोकने के लिए पीठ ने कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित की। इसके बाद भी जब हंगामे के आसार खत्म नहीं हुए तो सत्र को तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
सदन में हुई घटना दुर्भाज्यपूर्ण: सीएम
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज सदन में विधायकों के बीच हुई धक्कामुक्की की घटना को दुर्भाज्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि सदन में इस तरह की घटनाएं नहीं होनी चाहिए। सदन लोकतंत्र का मंदिर है और वहां इस तरह की घटनाएं स्वीकार्य नहीं हैं। मुख्यमंत्री रावत कालेश्वर में एक एनजीओ के कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे।
मुद्दे नहीं हैं तो शोर मचा रही कांग्रेस: मुन्ना
शुक्रवार को सदन में हुई अप्रिय घटना पर विकास नगर के विधायक और भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है। वह अच्छी तरह जानती है कि भाजपा ने किसानों के लिए कितना काम किया है। भाजपा चाहती है कि किसानों द्वारा आत्महत्या नहीं की जाए। इसके लिए किसान हित में कई निर्णय लिये गये हैं। कलस्टर योजना और आय दोगुना करने का लक्ष्य भाजपा की इसी सोच का नतीजा है। फिर भी कांग्रेस सदन में बवाल कराना चाहती है। कांग्रेस में दम है तो वह बहस करे।
मंत्री को उठने की जरूरत नहीं थी: इंदिरा
सदन में हुए हंगामा पर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि बजट पर मुझे बोलने के लिये कहा गया। मैंने किसानों की आत्महत्या का मुद्दा उठाया। आरटीआई से मिली जानकारी में आठ किसानों की आत्महत्या की बात सामने आई है। मैं बोल ही रही थी कि सत्ता पक्ष से एक मंत्री उठ खड़े हुए। जब संसदीय कार्यमंत्री सदन में मौजूद थे तब मंत्री को उठने की जरूरत नहीं थी। मंत्री ने आत्महत्या के मुद्दे को कांग्रेस और भाजपा से जोडकऱ बोलना शुरू किया। इससे सदन में अशोभनीय स्थिति पैदा हुई। उधर काग्रेस के ही विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि किसानों को लेकर कांग्रेस ने क्या किया यह भाजपा को बताने की जरूरत नहीं है। सरकार अपनी संख्याबल से विपक्ष को दबाना चाहती है। हम चाहते हैं कि सदन चले पर इसके लिए सरकार को पहल करनी होगी।