Exclusive: रियल्टी चेक में फेल हुईं योगी के शहर की प्रिंसिपल, नहीं बता पाई CM-राज्यपाल तक का नाम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jul, 2017 03:17 PM

chief of the cm yogi the principal could not tell the name of the governor

उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुए योगी सरकार को 100 दिन से भी ज्यादा समय हो गया है। सरकार इतने दिनों में कितना काम कर पाई है इसका रियल्टी चेक करने के लिए पंजाब केसरी के रिपोर्टर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर के एक प्राथमिक...

गोरखपुर(रुद्र प्रताप सिंह): उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुए योगी सरकार को 100 दिन से भी ज्यादा समय हो गया है। सरकार इतने दिनों में कितना काम कर पाई है इसका रियल्टी चेक करने के लिए पंजाब केसरी के रिपोर्टर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर के बसंतपुर चरगावां प्राथमिक स्कूल का मुआयना किया। जहां की शिक्षिकाएं और प्रिंसिपल सब फेल साबित हुईं। 

मुख्यमंत्री के बराबर सभी जनहित वाले कार्यों में विकास की बयानबाजी के परिणाम के रियल्टी चेक के लिए संवाददाता ने जिले के शिक्षा विभाग में कदम रखा। कुछ दिन पहले ही प्राथमिक विद्यालय के होनहार बच्चों से जब मुख्यमंंत्री और जिलाधिकारी के बारे में बात की गई तो वह बता नहीं पाए थे। यहां तक कि वहां के प्रिंसिपल ने ये कहकर टाल दिया था कि ये किराए का भवन है और यहां बिजली भी नहीं है हमने प्रशासन को अप्लिकेशन लिखा है। फिलहाल इस बार इन बच्चों को शिक्षा देने वाली गुरुजनों की बारी थी।

जब कक्षा में पढ़ाने वाली शिक्षिकाओं से और वहां की प्रधानाचार्य से बात की गयी तो दोनों रियलटी चेक में फेल साबित हुईं। विद्यालय की प्रिंसिपल बासमती देवी जो 60,000 प्रतिमाह सैलरी लेती हैं वो भी फेल साबित हुईं। बासमती देवी से जब उत्तर प्रदेश में कौन और कितने मुख्यमंत्री हैं पूछा गया तो उन्होंने अपने ज्ञान से सबको चौंका दिया। सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि प्रदेश में तीन मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने सबसे पहले मायावती का नाम लिया फिर दूसरे नंबर पर अखिलेश और बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम गिनाया। इतना ही नहीं प्रिसिंपल को देश के राष्ट्रपति और प्रदेश के राज्यपाल तक का नाम नहीं पता है। 

ये हाल मुख्यमंत्री के संसदीय क्षेत्र का है। अब आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश के बाकी प्राथमिक स्कूलों का क्या हाल होगा। अब देखना ये भी दिलचस्प होगा कि क्या इन शिक्षकों के खिलाफ सरकार कोई कार्रवाई करती है या फिर इनके अधूरे ज्ञान के सहारे बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने के लिए मामले को नजरअंदाज कर देती है। 

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