Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 May, 2017 05:54 PM
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुए जातीय संघर्ष की वजह से सुर्खियों में आया चन्द्रशेखर अब दलितों के नये चेहरे के रुप में देखा जा रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञ उसे और उसके संगठन ‘भीम आर्मी’ को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और उसकी अध्यक्ष मायावती की चुनौती के...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुए जातीय संघर्ष की वजह से सुर्खियों में आया चन्द्रशेखर अब दलितों के नये चेहरे के रुप में देखा जा रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञ उसे और उसके संगठन ‘भीम आर्मी’ को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और उसकी अध्यक्ष मायावती की चुनौती के रूप में देख रहे हैं।
करीब तीस वर्षीय चन्द्रशेखर का उसके वर्ग में प्रभाव बढ़ता देखा जा रहा है। युवाओं में उसका ‘क्रेज’ खासतौर से बढ़ा है। दिल्ली के जन्तर मन्तर पर भीम आर्मी के प्रदर्शन के बाद चन्द्रशेखर का अपने समाज में दबदबा बढ़ा। चन्द्रशेखर का ‘हम इस देश के शासक हैं’ नारा उसके लोगों में काफी लोकप्रिय हो रहा है। उसका कहना है कि इस नये नारे को अपने समाज को एहसास कराना है। चन्द्रशेखर का दलितों में बढ़ते प्रभाव की वजह से बसपा में घबराहट देखी जा रही है और इसीलिये मायावती भीम आर्मी के पीछे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दिमाग बता रही हैं।
सहारनपुर में नौ मई को हुए जातीय संघर्ष के सिलसिले में पुलिस ने चन्द्रशेखर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। अवकाश प्राप्त आईपीएस अधिकारी और समाजसेवी एस आर दारापुरी का कहना है कि भीम आर्मी की ओर दलित ही नहीं अल्पसंख्यकों का भी आकर्षण बढ़ रहा है। अपने को ‘रावण’ कहने वाला चन्द्रशेखर सहारनपुर के धाड़कुली गांव में पैदा हुआ था। जिले के एक कालेज से वह विधि स्नातक है। वर्ष 2015 में भी वह चर्चा में आया था। उस समय उसके गांव में तनाव पैदा हो गया था। उसकी योजना भीम आर्मी को विकसित करने की है। हाल ही में उसने कहा था कि वह दलितों को उनका हक दिलाना चाहता है। वह अपने नाम के पीछे आजाद भी लगाता है।
सहारनपुर में गत पांच, नौ और 23 मई को शब्बीरपुर और उसके आसपास गांव में राजपूतों और दलितों में हुए संघर्ष के दौरान एक राजपूत और एक दलित युवक की मृत्यु हो गयी थी, कई घायल हुए थे। पच्चीस से अधिक घर जला दिये गये थे। इन घटनाओं की वजह से राज्य सरकार की काफी किरकिरी हुई।