Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Nov, 2017 07:30 PM
लोकसभा और विधानसभाओं का चुनाव धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ मिलकर लडऩे की बात पर बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने आज कहा कि उनकी पार्टी कभी इसके खिलाफ नहीं रही है...
लखनऊ: लोकसभा और विधानसभाओं का चुनाव धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ मिलकर लडऩे की बात पर बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने आज कहा कि उनकी पार्टी कभी इसके खिलाफ नहीं रही है, लेकिन किसी भी धर्मनिरपेक्ष पार्टी के साथ हम गठबंधन सम्मानजनक सीट संख्या मिलने पर ही करेंगे, वरना पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ गठबंधन के संबंध में पार्टी के पुराने और वर्तमान दोनों ही अनुभव काफी खराब रहे हैं। पार्टी की ओर से जारी बयान के अनुसार, ‘‘वर्तमान में गुजरात विधानसभा में 182 सीटें हैं, चुनावी गठबंधन के तहत बसपा ने कांग्रेस की हारी हुई 25 सीटें अपने लिए मांगी, लेकिन उन्हें यह बात नागवार गुजरी। इसी प्रकार हिमाचल प्रदेश की कुल 68 सीटों में से पार्टी ने कांग्रेस से उसकी हारी हुई सीटों में से 10 मांगी, लेकिन उन्होंने इसमें भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी।’’
मायावती ने उत्तर प्रदेश में तीन चरणों में हो रहे शहरी निकाय चुनावों की तैयारियों का जायजा लेने के लिए आज पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि बसपा पहली बार अपने चुनाव चिन्ह पर शहरी निकाय चुनाव लड़ रही है। पार्टी ने मेयर, पार्षद, नगर पालिका व नगर पंचायत के अध्यक्ष व सदस्यों के लिए अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं। पार्टी के किसी कार्यकर्ता को निर्दलीय चुनाव लडऩे की अनुमति नहीं दी गयी है।
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक बात भाजपा या साम्प्रदायिक दलों को सत्ता में आने से रोकने के लिए धर्मनिरपेक्ष गठबंधन बनाने की है, हमारी पार्टी उसके खिलाफ नहीं है। हम इसका समर्थन करते हैं। लेकिन हमारी पार्टी किसी भी धर्मनिरपेक्ष पार्टी के साथ गठबंधन करके चुनाव इसी शर्त पर लड़ेगी कि उसे बंटवारे के दौरान सम्मानजनक संख्या में सीटें दी जाएं। ऐसा नहीं होने पर हम अकेले चुनाव लडऩा बेहतर समझते हैं।’’
मायावती ने कहा कि इन्हीं निर्देशों के तहत पार्टी नेता एस. सी. मिश्रा ने गठबंधन के सम्बन्ध में कांग्रेस नेता सोनिया गाँधी के खास सलाहकार अहमद पटेल से विस्तार से बात की थी। उन्होंने बातचीत की जानकारी गुलाम नबी आजाद को भी दे दी थी, लेकिन इस बातचीत से दुखी होकर मिश्रा ने मुझसे गठबंधन की वकालत करना लगभग बंद ही कर दिया है।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में मिश्रा समाजवादी पार्टी के रवैये से भी बहुत ज्यादा दु:खी हैं। ‘‘हमारी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 1993 में सपा के साथ और 1996 में कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा, लेकिन अनुभव अच्छा नहीं रहा।’’ बसपा सुप्रीमो ने कहा कि गठबंधन से इन दोनों दलों को लाभ हुआ, लेकिन हमें नुकसान हुआ। हमारा मत-प्रतिशत भी घट गया।
उन्होंने कहा कि पुराने अनुभवों के आधार पर लगता है कि पार्टी के लिए अकेले चुनाव लडऩा ही बेहतर विकल्प है। अपने जन्मदिन के बारे में मायावती ने कहा कि प्रत्येक वर्ष की भांती 15 जनवरी, 2018 ‘जनकल्याणकारी दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। हमेशा की भांती अति गरीब व असहाय लोगों की मदद की जाएगी। पार्टी पर लग रहे भाई भतीजावाद के आरोपों का जवाब देते हुये बसपा सुप्रीमो ने कहा कि यह सिर्फ दुष्प्रचार है कि पार्टी संगठन में भाई और भतीजे को आगे करके बसपा प्रमुख ने आगे की दो पीढिय़ों का प्रबन्ध कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरी तरह गलत, निराधार और मिथ्या प्रचार है। बसपा पूर्णतया अम्बेडकरवादी सोच वाली पार्टी है।’’
उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी सपा या कांग्रेस की तरह परिवारवाद को बढ़ावा देने वाली पार्टी नहीं है और ना हीं ऐसी बन सकती है। ‘‘बसपा आंदोलन के लिये जिस जुझारू, संघर्षशील, परिपक्व और किसी दबाव के आगे नहीं झुकने और नहीं बिकने वाले नेतृत्व की भविष्य में कारूरत होगी। लेकिन हमारे पास अभी तक ऐसा नेतृत्व नहीं है, इसी मजबूरी में पार्टी हित के लिए उसका नेतृत्व आनन्द कुमार को सौंपा गया है।’’ मायावती ने कहा कि आनन्द कुमार के पुत्र आकाश अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद अपने पिता के कामों में हाथ बटाने के लिये उनके साथ रहते हैं तथा घर संभालते हैं। पार्टी में आकाश को कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गयी है।