बीजेपी के "मेयर दी बॉस" नहीं कर पा रहे उम्मीदवारों का फैसला

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Nov, 2017 08:23 PM

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उत्तर प्रदेश नगर निगम चुनाव के लिए नामांकन की तारीख 6 नवंबर से शुरू होकर 10 नवंबर तक है। कहा जाए तो नामांकन के लिए केवल सप्ताह भर का समय है। जिसे देखते हुए कांग्रेस ने कई जिलों में मेयर पद पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जबकि उम्मीदवारों की...

यूपी (लखनऊ): उत्तर प्रदेश नगर निगम चुनाव के लिए नामांकन की तारीख 6 नवंबर से शुरू होकर 10 नवंबर तक है। कहा जाए तो नामांकन के लिए केवल सप्ताह भर का समय है। जिसे देखते हुए कांग्रेस ने कई जिलों में मेयर पद पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जबकि उम्मीदवारों की लिस्ट फाइनल करने में बीजेपी आला कमान को पसीने छुट रहे हैं। बीजेपी के वरिष्ट पदाधिकारियों ने कई बार बैठक कर मेयर पद के उम्मीदवारों पर चर्चा किया इसके बाद भी किसी नाम पर सहमति नहीं बन सकी। यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, गोपाल टंडन सहित कई अन्य नेताओं पर अपने चहेतों को टिकट दिलाने का दवाब है। इस कारण भी पार्टी आलाकमान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पार्टी में यह भी बात चल रही है कि लखनऊ मेयर व पार्षदों का टिकट डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा की सहमति पर ही दिया जाएगा। अंदरखाने की बात यह भी है कि लखनऊ के पूर्व महापौर व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, संगठन मंत्री सुनील बंसल के अलावा 2 कैबिनेट मंत्रियों के बीच प्रत्याशी के चयन को लेकर जबरदस्त खींचतान चल रही है।

वादा करके मुश्किल में बीजेपी
दरअसल, बीजेपी के आलाकमान ने वर्ष 2014 के लोकसभा और वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कई नये कार्यकर्ताओं को जोड़ा। इन्हें जोडऩे से पहले नगर निगम चुनाव में टिकट देने का आश्वासन दिया गया। अब बीजेपी के पदाधिकारियों के सामने यह संकट है कि जिन सीटों पर सिटिंग पार्षद और सभासद हैं वहां पर टिकट किसे दिया जाए। अगर सिटिंग उम्मीदवारों को टिकट दिया जाता है तो आश्वासन पूरा होने की राह देख रहे कार्यकर्ताओं में निराशा फैलेगी। बीजेपी अपने इन कार्यकर्ताओं को नाराज करने के मूड में नहीं है।

सिटिंग उम्मीदवार पर नहीं बनी पालिसी
बीजेपी में सबसे बड़ी परेशानी इसी बात को लेकर है कि पिछले 4 दिनों से चल रही बैठक में अभी तक सिटिंग पार्षदों की कोई पॉलिसी नहीं बनाई गई। प्रदेश भाजपा के सूत्रों के अनुसार इस वक्त दबाव बहुत है। मंत्री बृजेश पाठक, रीता बहुगुणा जोशी और स्वाति सिंह समेत कई माननीयों ने अपनी लिस्ट आलाकमान को सौंपी है। इसका उदाहरण यह है कि 6 दिन पहले तक मेयर पद की उम्मीदवार खुद डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा की पत्नी भी थीं, लेकिन पार्टी के दबाव में उनके नाम को लेकर दिनेश शर्मा ने खुद खारिज कर दिया था।

चहेतों को टिकट दिलाने की जंग 
चुनाव समिति को सौंपी गई लिस्ट में कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक की विधानसभा के 5 पार्षद प्रत्याशी, कैबिनेट मंत्री रीता जोशी की विधानसभा कैंट के 4 और कैबिनेट मंत्री गोपाल टंडन ने 7 प्रत्याशियों के नाम को शामिल किया गया था। इनके अलावा जिन महिला राज्यमंत्री के प्रत्याशियों की लिस्ट को पॉलिसी मैटर बताकर खारिज कर दिया गया था, उनमें से स्वाति सिंह, विधायक नीरज बोरा भी शामिल थे। लेकिन चुनाव समिति में इन सभी ने अपनीं बात ‘ये कहकर पहुंचाई है कि- ‘मेयर दि बॉस‘ (दिनेश शर्मा) की मेहरबानी है। लखनऊ से कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी अपनी करीबी कांग्रेस से भाजपा तक साथ देने वाली शबनम पांडे को मेयर पद का उम्मीदवार बनाने के लिए संगठन मंत्री से लेकर सीएम तक दौड़ लगा रही है। लेकिन मेयर दी बॉस के आगे सबके पैंतरे फेल होते नजर आ रहे हैं। ऐसे में अगर जल्द ही मेयर पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं हुई तो बीजेपी के लिए चुनाव निकालना मुश्किल हो सकता है।

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