दलितों को बांटे गए शैंपू-सेंट, अफसरों ने कहा-नहाकर ही CM से मिलना जिससे बदबू न आए

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 May, 2017 05:29 PM

before the cm visit the dalits should meet shampoo soap saint

मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने कई एतिहासिक फैसले लिए जिसकी हर किसी ने तारीफ की। कुशीनगर दौरे से पहले एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे योगी सरकार की काफी किरकिरी हो रही है।

कुशीनगर: मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने कई एतिहासिक फैसले लिए जिसकी हर किसी ने तारीफ की। कुशीनगर दौरे से पहले एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे योगी सरकार की काफी किरकिरी हो रही है। दरअसल मुख्यमंत्री यहां के मुसहर बस्ती का दौरा करने वाले हैं। जैसे ही ये खबर आला अधिकारियों को पचा चली उन्होंने बस्ती में साबुन, शैंपू और सेंट बंटवा दिया। साथ ही, साफ-सुथरा रहना को कहा। 

मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक, योगी आदित्यनाथ ने 25 मई को कुशीनगर के मैनपुर कोट गांव का दौरा किया था। इस दौरान ये भी खबर थी कि वह मुसहर बस्ती का भी निरीक्षण करेंगे। ऐसे में मुख्यमंत्री के आने से पहले यहां साबुन, शैंपू और सेंट बांटे और उन्हें मुख्यमंत्री के दौरे से पहले साफ-सुथरा रहने की हिदायत दी गई है। ताकि उनकी दयनीय दशा सीएम के सामने दिख न सके। प्रशासन के आला अधिकारियों ने इस दलित बस्ती के लोगों से कहा कि मुख्यमंत्री के पास जाना तो नहा-धोकर, पाउडर लगाकर जाना।

आंगनबाड़ी वालों ने बांटा साबुन-शैंपू
दीनापट्टी गांव के निवासी दयाराज ने कहा, ‘योगी जी आने वाले हैं. साफ सफाई से नहाकर उनसे मिलने जाना चाहिए। ताकी शरीर से बदबू न आए। हम लोग गए थे, लेकिन बाद में साबुन मिला, तो नहाकर नहीं गए थे जल्दबाजी में. सात बजे से पहले बुलाए थे, हम लोग सात बजे से पहले ही पहुंच गए थे।’ दयाराज के अलावा किशुनी देवी को भी साबुन मिला था। उन्होंने कहा, ‘आंगनबाड़ी वाली ने साबुन शैंपून दिया। बोला कि योगी जी आने वाले हैं, नहा धोकर जाना. शरीर से बदबू नहीं आएगी।’

गांव विकास से कोसों दूर
वहीं, गांव वालों का कहना है कि विकास से कोसों दूर रहे इस गांव में मुख्यमंत्री के आने की खबर मिलते ही अधिकारियों ने इस गांव की ओर ध्यान देना शुरू कर दिया। सड़क-खड़ंजा तो ठीक ही किया गया, साथ ही लोगों के लिए शौचालय भी बनवाए गए। लोगों के घरों के अंदर भी साफ सफाई करवाई गई। बिजली की व्यवस्था भी हुई।

गौरतलब है कि इस बस्ती में 1800 लोग घास फूस की झोपड़ी में रहते हैं। टोले में एक कमरे का एक स्कूल है, जहां कोई पढऩे नहीं जाता। टोले में कोई शौचालय भी नहीं है। इस टोले में समाजवादी पेंशन योजना भी नहीं पहुंची और उज्जवला योजना भी नहीं। पानी के नाम पर सिर्फ हैंडपंप है। इस टोले में योगी आदित्यनाथ भले नहीं पहुंचे हो, लेकिन साबुन-शैंपू के पहुंचने से इस बस्ती को चर्चा मिल गई, लेकिन जहां साबुन-शैंपू नहीं पहुंचा, वहां क्या? ऐसी 159 बस्तियां कुशीनगर में है। यानी 159 बस्तियों में रहने वाले करीब ढाई लाख मुसहर जीते जी मौत की बीमारियों को ढोते हुए जीते हैं।

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